
आम आदमी पार्टी (AAP) ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए अपनी चौथी लिस्ट जारी कर दी है, जिसमें 12 उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं।
जब महागठबंधन के बड़े-बड़े दिग्गज एक-दूसरे की सीटें छीनने में व्यस्त हैं, तब AAP धीरे-धीरे चुपचाप पर कमिटमेंट के साथ मैदान में उतर रही है।
सूत्रों की मानें तो पार्टी जल्द ही और लिस्टें भी जारी कर सकती है क्योंकि “काम की राजनीति” का स्लोगन अब “कैंडिडेट की राजनीति” में बदल गया है।
महागठबंधन की सीटें फंसी, पर AAP की गाड़ी पटरी पर
महागठबंधन (RJD, कांग्रेस, वामदल) के बीच सीट शेयरिंग पर अब तक कोई ठोस समझौता नहीं हुआ है।
कई सीटों पर दो-दो, कहीं-कहीं तीन-तीन दलों ने अपने-अपने “माननीय” उतार दिए हैं, जिससे जनता से लेकर चुनाव आयोग तक कंफ्यूजन की चाय पी रहा है।
वहीं दूसरी ओर, AAP ने बिना गठबंधन में उलझे सीधे उम्मीदवार उतारना बेहतर समझा।
NDA ने पहले ही बंटवारा किया, रणनीति फिक्स
दूसरी ओर एनडीए (BJP+JDU) पहले ही सीटों का बंटवारा कर चुका है:
- BJP – 101 सीटें
- JDU – 101 सीटें
- LJP (रामविलास) – 29 सीटें
- HAM और RLSP – 6-6 सीटें
अब ये टीम चुनावी पोस्टर छपवाने और भाषण फाइनल करवाने में व्यस्त है। मतलब “बंटवारा हो गया, अब प्रचार करो” मोड ऑन।
AAP की स्ट्रैटेजी: जमीन पर कैंडिडेट, ऑनलाइन पर प्रचार
AAP अपने कैंडिडेट्स को सोशल मीडिया और स्थानीय जनसंपर्क के जरिए प्रमोट कर रही है।
टीम केजरीवाल का फोकस है – “जहां दूसरे पोस्टर फाड़ रहे हैं, वहां हम वादे गिनवा रहे हैं।”

इससे पार्टी को जनता के बीच शांत पर असरदार एंट्री मिल रही है।
चुनाव की तारीख़ें फिक्स, गठबंधन की स्थिति मिक्स
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चुनाव तारीखें: 6 और 11 नवंबर (दो चरणों में)
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नतीजे: 14 नवंबर
पर महागठबंधन का हाल अभी भी “Coming Soon…” जैसे पोस्टर वाला है – लिस्ट कब आएगी, खुद उन्हें भी नहीं पता।
AAP मैदान में, गठबंधन मैदान से बाहर?
जहां एक ओर NDA अपने तय रोडमैप पर चल रहा है, वहीं AAP ने बिना गठबंधन में उलझे सीधे जनता के बीच उतरने की रणनीति अपनाई है।
महागठबंधन अभी भी “तू मेरी सीट छोड़, मैं तेरी लिस्ट देखूं” जैसी चर्चाओं में उलझा है। अब देखना ये है कि AAP की ये ‘लिस्टिंग पॉलिटिक्स’ क्या बिहार की राजनीति में नया अध्याय खोल पाएगी?
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