
इंग्लैंड के हल शहर में एक जिम के बाहर खड़ी एक 13 साल की लड़की को उस वक्त नहीं पता था कि वो एक दिन ब्रिटेन की पहली सिख महिला प्रो बॉक्सर कहलाएगी।
वो लड़की थीं चरण कौर ढेसी, जिनकी कहानी हर उस लड़की के लिए मिसाल है जो अपनी पहचान के लिए जूझ रही है।
बॉक्सिंग बनी प्लान A और प्लान B – कोई Back-Up नहीं!
ढेसी बताती हैं, “लोग पूछते थे – अगर चोट लग गई तो शादी कौन करेगा? क्या तुम किचन में नहीं होनी चाहिए?”
उनका जवाब था – “मेरा प्लान A बॉक्सिंग है, और प्लान B भी बॉक्सिंग ही है!”
साउथ एशियन कम्युनिटी की रूढ़िवादी सोच को मुक्कों से जवाब देना आसान नहीं था, लेकिन ढेसी ने यही किया।
Youth से Pro तक: मेडल्स से भरी अलमारी, आंखों में सपना
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3 नेशनल गोल्ड
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1 यूरोपियन सिल्वर
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3 इंटरनेशनल क्राउन्स अवॉर्ड
और फिर आया प्रोफ़ेशनल डेब्यू, जिसमें उन्होंने पहला मुकाबला नॉकआउट से जीता – और वायरल हो गईं!
सिख बेटियों के लिए रिंग में रोशनी
ढेसी सिर्फ़ अपनी जीत के लिए नहीं लड़ रहीं।
वह कहती हैं – “हर सिख लड़की जो मुझसे मिलती है, मुझसे पूछती है – ‘डर को कैसे हराएं?’ और मैं कहती हूं – ‘मैं रास्ता दिखाऊंगी’।”
उनका सपना है कि वो मिडलैंड्स में अपना खुद का जिम खोलें और आने वाली पीढ़ी को तैयार करें।

स्पॉन्सर नहीं, पैरेंट्स ही सहारा – संघर्ष जारी है
नो स्पॉन्सर, नो इनकम, फुल टाइम ट्रेनिंग। ढेसी का पूरा खर्च अब भी उनके माता-पिता उठा रहे हैं।
“मैं जॉब नहीं करती क्योंकि फोकस सिर्फ़ ट्रेनिंग पर है। लेकिन इससे बहुत कुछ मिस होता है – बेहतर किट, ग्लोबल टूर्नामेंट्स, exposure…”
फिर भी उनका कहना है – “बॉक्सिंग सिर्फ बेल्ट नहीं, पहचान की लड़ाई है।”
Punch Line for the Next Gen
“बस कर डालो! चाहे जो सपना हो – आपको बस खुद पर विश्वास रखना है। लोग क्या सोचते हैं, इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता!” — चरण कौर ढेसी
ये मुक्केबाज़ सिर्फ़ रिंग में नहीं, समाज से भी लड़ रही है
चरण कौर ढेसी ने जो रास्ता बनाया है, वो आज की लड़कियों को सिर्फ़ मुक्केबाज़ नहीं बना रहा, बल्कि मनोबल और पहचान भी दे रहा है।
उनकी कहानी हर लड़की के लिए Reminder है: लड़ो, चमको, और इतिहास लिखो!