
2025 में भारत की राजनीति अब संसद से ज़्यादा Twitter Spaces और Instagram Reels में होती है। पहले नेता भाषण देते थे, अब GIFs और “Savage Replies” से काम चल जाता है।
जहाँ पहले मैनिफेस्टो पढ़े जाते थे, अब मीम-पेज से पॉलिटिकल एजेंडा सेट होता है। नेताओं की योग्यता अब इस पर निर्भर करती है कि कौन ज़्यादा वायरल हुआ।
नेतागिरी नहीं, मीमागिरी
नेताओं के ट्विटर बायो में अब “Public Servant” नहीं बल्कि “Part-time Comedian” और “Full-time Troll Slayer” लिखा होता है।
मुद्दे? वो अब किसी dusty फाइल में पड़े होंगे। जनता को चाहिए “कौन किसको कैसे roast किया”, और सरकार चल रही है hashtags से – #PappuVsFeku, #AndhBhakt, #ToolKitExposed जैसी digital धमाकों से।
लोकतंत्र या Like-तंत्र?
आज का लोकतंत्र लाइक, शेयर और सब्सक्राइब से चलता है। संसद की कार्यवाही से ज़्यादा लोग YouTube Debates में इन्वेस्टेड हैं।
कभी “जनता की सरकार” का सपना था, अब “जनता का कंटेंट” बनाना ज़रूरी है। Anchor shouting = Accountability और Trending Hashtag = Policy Success।
ट्रोल्स हैं तो मोल है
सत्ता की असली ताकत अब बैकएंड IT सेल्स और WhatsApp यूनिवर्सिटीज़ में है। ट्रोल्स ही असली “ट्रुथ-मेकर” हैं।

अगर आप सरकार से सवाल पूछते हैं, तो आपको “देशद्रोही”, “अर्बन नक्सल”, या “प्री-पेड पत्रकार” का सर्टिफिकेट तुरंत मिल जाता है – वो भी फ़्री में!
मुद्दों की जगह मशीन लर्निंग
AI से देश बदलने का वादा तो था, लेकिन अब AI से ट्रोलिंग ऑटोमैटिक हो गई है। जैसे ही कोई विपक्षी कुछ बोले, 2000 ट्रोल्स रेडी टू अटैक — “तूने 2012 में क्या किया था?” पूछने।
जनता बोले – “थोड़ा और मसालेदार दो”
असल मुद्दों पर बहस न हो, तो पब्लिक कहती है – “कितना बोरिंग है!”। उन्हें चाहिए “Ultimate Roast Compilation”, “MP vs MLA Rap Battle”, और “Parliament Funny Moments”।
मूल्य, नैतिकता और विकास के नाम पर जनता खुद बोर हो चुकी है। और जब तक वो लाइक बटन दबाते रहेंगे, तब तक ट्रोलनीति ही चलेगी।
राजनीति अब नीति नहीं, Need for Viral बन चुकी है। Satire ही सच है और ट्रोल ही विचारधारा। ऐसे में लोकतंत्र भी सोच रहा होगा – “कहाँ आ गए हम?”
