
कर्नाटक के कांग्रेस विधायक KC वीरेंद्र का नाम इन दिनों किसी फिल्मी विलेन की तरह न्यूज़ हेडलाइन्स में छाया हुआ है।
लेकिन स्क्रिप्ट सीरियस है, क्योंकि ED (प्रवर्तन निदेशालय) ने इन्हें सट्टेबाज़ी किंग घोषित कर गिरफ़्तार कर लिया है।
LOK से नहीं, लॉकर से जुड़ा इनका ‘जनता जनार्दन’!
कहां हुआ क्या?
ED की रेड ने शुक्रवार और शनिवार को पूरे देश में 31 जगहों पर छापा मारा:
गंगटोक, चित्रदुर्ग, बेंगलुरु, हुबली, मुंबई, गोवा, जोधपुर — एक तरह से “पॉलिटिकल IPL”
और इस ‘मैच’ में जो स्कोर मिला, वो देखिए:
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₹12 करोड़ कैश
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₹6 करोड़ के सोने के आभूषण
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10 किलो चांदी
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प्रॉपर्टी के डॉक्यूमेंट
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चार लग्ज़री गाड़ियाँ

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17 बैंक खाते फ्रीज़
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2 लॉकर फ्रीज़
इतना माल तो करोड़पति शो के सेट पर भी नहीं मिलता!
गिरफ्तारी – गंगटोक टू बेंगलुरु
ED ने ट्वीट कर बताया कि विधायक को गंगटोक से गिरफ्तार कर न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया। अब उन्हें बेंगलुरु कोर्ट लाया जाएगा ट्रांजिट रिमांड के ज़रिए।
सवाल यही – नेता हैं या नेटवर्क?
ऑनलाइन और ऑफलाइन सट्टेबाज़ी के इस खेल में KC वीरेंद्र का नाम अब एक पॉलिटिकल ब्रांड बन चुका है।
कर्नाटक कांग्रेस पहले से ही विवादों में रही है — और अब इस गिरफ़्तारी ने पार्टी के माथे पर एक नया ‘सट्टा सिंबल’ टांक दिया है।
“हाथ” वाले अब पूछ रहे हैं — हाथ में रिमोट है या रिमांड?
KC वीरेंद्र की गिरफ्तारी से साफ है कि राजनीति में अब Manifesto से ज़्यादा Mobile App चल रहे हैं। जो नेतागिरी को पब्लिक सर्विस नहीं, प्राइवेट जुआखाना बना रहे हैं — उन्हें अब जनता नहीं, ED रोक रही है।
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