
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शिक्षा विभाग के माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत मृतक शिक्षकों एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के आश्रितों को बड़ी राहत दी। 5353 पदों पर अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति करते हुए उन्होंने नियुक्ति पत्र सौंपे और भरोसा जताया कि ये सभी कर्मचारी ईमानदारी और निष्ठा के साथ अपने कार्य को निभाएंगे।
क्या है अनुकंपा नियुक्ति का यह नया प्रावधान?
बिहार सरकार ने वर्ष 2006 से शिक्षक पद पर अनुकंपा नियुक्ति की व्यवस्था शुरू की थी। परंतु जब आश्रित शिक्षक पद के लिए अर्हता नहीं रखते थे, तो उन्हें नियोजन से बाहर कर दिया जाता था।
इसी को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2020 में एक नई व्यवस्था बनाई गई, जिसमें योग्यताहीन आश्रितों को विद्यालय लिपिक और विद्यालय परिचारी के पदों पर नियुक्त किया गया।
अब वर्ष 2024 से इस नीति को पूर्ण रूप से लागू करते हुए, इन पदों को भी शिक्षक की तरह नियमित किया गया है।
मुख्यमंत्री की भावनात्मक अपील
प्रेस वार्ता में नीतीश कुमार ने कहा:
“हम जानते हैं कि परिवार के सदस्य को खोना कितना कठिन होता है। हमारी कोशिश है कि ऐसे परिवारों को आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा मिले।”
नियुक्तियों की संख्या और वितरण
| पद | संख्या |
|---|---|
| विद्यालय लिपिक | 4835 |
| विद्यालय परिचारी | 518 |
| कुल | 5353 |
ये नियुक्तियाँ राज्यभर के विद्यालयों में की गई हैं और सभी को सरकार द्वारा निर्धारित वेतन और सेवा शर्तों में समुचित सुधार के साथ बहाल किया गया है।

क्यों ये नियुक्तियाँ खास हैं?
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पहली बार लिपिक और परिचारी पदों को भी अनुकंपा नीति के अंतर्गत स्थायित्व दिया गया है।
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सेवा शर्तों में पारदर्शिता और स्पष्टता लाई गई है।
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मृतक कर्मचारियों के आश्रितों को आर्थिक-सामाजिक सुरक्षा मिल रही है।
“सरकार जब संवेदनशील हो, तो प्रशासन उम्मीद बन जाता है”
इस कदम से ना सिर्फ हजारों परिवारों को जीवन यापन का सहारा मिला, बल्कि समाज में यह संदेश भी गया कि सरकार सिर्फ योजनाओं तक सीमित नहीं, बल्कि संवेदनशील फैसले लेने में भी अग्रणी है।
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