“मेघालय में ILP लागू करो” – शिलांग सांसद की पीएम से अपील

Lee Chang (North East Expert)
Lee Chang (North East Expert)

शिलांग के सांसद रिकी एंड्रयू जोन्स सिंगकोन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील करते हुए कहा है कि मेघालय में इनर लाइन परमिट (ILP) नियमों को तत्काल लागू किया जाए।

उन्होंने यह बात अवैध प्रवासन, सीमा सुरक्षा की खामियां, और जनजातीय पहचान पर खतरे को लेकर गहराते संकट के चलते उठाई है।

ज्ञापन में क्या-क्या कहा सिंगकोन ने?

वॉयस ऑफ द पीपल पार्टी के सांसद सिंगकोन ने एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा, जिसमें उन्होंने प्रमुख चिंताओं को सामने रखा:

  • जनसंख्या दबाव से आदिवासी पहचान और भूमि अधिकार खतरे में

  • बांग्लादेशी सीमा के पास अनधिकृत बस्तियां बढ़ीं

  • मूल निवासियों को सामाजिक-आर्थिक असुरक्षा का सामना

“खासी, जयंतिया और गारो समुदायों की सांस्कृतिक सुरक्षा को बनाए रखने के लिए ILP बेहद ज़रूरी है।”

ILP: क्या है और कहाँ लागू है?

इनर लाइन परमिट (ILP) एक विशेष प्रवासी नियंत्रण प्रणाली है जो अरुणाचल प्रदेश, मिज़ोरम, मणिपुर और नागालैंड में पहले से लागू है।
यह गैर-स्थानीयों को किसी राज्य में स्थायी रूप से बसने या बिना अनुमति प्रवेश करने से रोकती है।

मेघालय विधानसभा ने दिसंबर 2019 में ILP लागू करने के लिए सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया था, लेकिन केंद्र सरकार की तरफ से अब तक मंजूरी नहीं मिली।

बॉर्डर इश्यू: 443 किमी की खुली चुनौती

सिंगकोन ने यह भी कहा कि बांग्लादेश के साथ मेघालय की 443 किलोमीटर लंबी सीमा पर:

  • केवल 9 BSF बटालियन तैनात हैं

  • कई बॉर्डर इलाके बिना बाड़ के हैं

  • इलाका जंगली, पहाड़ी और संवेदनशील है

उन्होंने मांग की:

  • 3 अतिरिक्त BSF बटालियन

  • ड्रोन निगरानी, नाइट विज़न, बॉर्डर स्कैनर, और बेहतर कम्युनिकेशन नेटवर्क

  • सीमा चौकियों का आधुनिकीकरण

संवेदनशीलता बनाम सख्ती: कैसे बनेगा संतुलन?

सांसद ने चेताया कि सुरक्षा बढ़ाते समय बॉर्डर पार के खासी, गारो और जयंतिया समुदायों के साथ सांस्कृतिक और सामाजिक रिश्तों की भी संवेदनशीलता बरकरार रखनी होगी।

“सीमा सुरक्षा ज़रूरी है, लेकिन इंसानियत और इतिहास की बुनियाद पर भी समझदारी ज़रूरी है।”

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