बच्चे बौने और सिस्टम ढीला – कमलनाथ बोले, आंगनवाड़ी में चल क्या रहा है?

सत्येन्द्र सिंह ठाकुर
सत्येन्द्र सिंह ठाकुर

मध्यप्रदेश में बच्चों की सेहत पर खतरे की घंटी बज चुकी है, लेकिन लगता है सरकार के कानों में अब भी ईयरप्लग्स फंसे हैं। कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने हाल ही में एक खबर के हवाले से बताया कि राज्य में 0 से 6 वर्ष के 25 लाख से ज़्यादा बच्चे बौने हो चुके हैं और 16 लाख से अधिक बच्चों का वजन औसत से कम है।

आंगनवाड़ी ‘Out of Coverage Area’ हो गई है?

कमलनाथ का कहना है कि आंगनवाड़ियों की हालत ऐसी हो गई है कि Google Maps पर भी उनकी लोकेशन नहीं मिलती। उन्होंने सीधे तौर पर सरकार के मॉनिटरिंग सिस्टम को निशाने पर लेते हुए पूछा:

“क्या सरकार की निगरानी व्यवस्था इतनी ढीली हो चुकी है कि 41 लाख बच्चे पोषण के अभाव में पल रहे हैं और आपको खबर तक नहीं?”

सरकारी योजनाएं या सिर्फ पेपर प्लान?

कमलनाथ का व्यंग्य साफ था—“जब मासूम बच्चों को सबसे ज़्यादा देखभाल चाहिए, तब सरकार केवल घोषणाएं कर रही है। आंगनवाड़ी केंद्रों में सिर्फ रजिस्टर भरे जा रहे हैं, बच्चों के पेट नहीं।”

राजनीतिक बयानबाज़ी को छोड़ भी दें, तो आँकड़े डराने वाले हैं। सवाल ये है कि अगर करोड़ों की योजनाएं जमीन पर नहीं उतर रहीं, तो वो पैसा कहां जा रहा है? शायद किसी और की ‘सेहत’ बना रहा है!

कमलनाथ की मांग: सिर्फ खाना नहीं, सिस्टम चाहिए!

पूर्व मुख्यमंत्री ने साफ कहा कि:

“बच्चों की सेहत से खिलवाड़ नहीं चलेगा। राज्य सरकार तत्काल राज्य स्तरीय तंत्र बनाए और बच्चों को पोषण और देखभाल तुरंत मुहैया कराए।”

सीएम का Vision Vs बच्चों की Nutrition

वहीं दूसरी तरफ, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव छात्रों से कह रहे हैं – “आदर्श शिक्षक, आदर्श किसान, आदर्श नेता बनो”। लेकिन सवाल ये है कि क्या इस आदर्श समाज में कुपोषित बच्चों के लिए भी कोई Vision है?

अगर सरकार और सिस्टम ऐसे ही चलता रहा, तो बच्चों को “बौना” नहीं, “भूखा महान” घोषित कर देना चाहिए। और आंगनवाड़ी केंद्रों को “Only On Paper” Award मिलना चाहिए।

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