
मेघालय सरकार की प्रमुख योजना PRIME Meghalaya (Promotion and Incubation of Market-driven Enterprises) ने 7 वर्षों में राज्य के उद्यमशील युवाओं को दिशा दी है।
अब समय आ गया है कि इस पहल को अगले स्तर पर ले जाया जाए — और इसके लिए एक नई स्टार्टअप नीति तैयार की जा रही है।
“अनुदान बांटने का जमाना गया, अब इनोवेशन और बाजार की मांग पर फोकस है,” – सिरिल वी. डिएंगदोह, सचिव, योजना विभाग
मापनीयता + बाज़ार = स्टार्टअप 2.0
गोलमेज सम्मेलन में डिएंगदोह ने कहा कि मेघालय को अब “उद्यम निर्माण” की ओर बढ़ना चाहिए, जिसमें नवाचार हो, मजबूत वैल्यू चेन हो और स्थानीय बाजार की गहरी समझ हो। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उद्यमियों को केवल पैसा नहीं, व्यावसायिक एकीकरण और नीति समर्थन भी चाहिए।
अब “युवाओं को लोन दो” वाली स्कीम से आगे बढ़कर, “लोन + लॉजिक” का फॉर्मूला लाने की जरूरत है।
किस सेक्टर में दिखा सरकार को भविष्य?
सम्मेलन में उभरते क्षेत्रों को “रणनीतिक समर्थन” की सूची में रखा गया:
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AgriTech – बांस से लेकर बायोफर्टिलाइज़र तक
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Tourism – रीजनल कल्चर और होमस्टे आधारित इकोनॉमी
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Traditional Handicrafts – लोकल टू ग्लोबल पथ
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Digital Services – ऐप्स से लेकर AI तक
और हाँ, “कम पोस्ट, ज्यादा प्रोडक्ट” की ओर भी संकेत दिया गया।
स्टार्टअप्स को क्या चाहिए?
सम्मेलन में युवाओं ने अपनी मांगें रखीं:
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शिक्षा संस्थानों से टाई-अप
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प्रोडक्टिव मेंटरशिप
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फंडिंग से पहले नेटवर्किंग
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और सबसे जरूरी – ‘वेस्ट मैनेजमेंट से वैल्यू जनरेशन’ की नीति
एक स्टार्टअप प्रतिनिधि ने कहा,
“सर, अब सिर्फ पिच डेक नहीं, स्टार्टअप को पक्की छत चाहिए।”
PRIME मेघालय: नाम से नहीं, काम से ‘प्राइम’
नई नीति में PRIME को मुख्य कार्यान्वयन इकाई के रूप में रखा गया है।
यह सुनिश्चित करेगा कि नीति सिर्फ दस्तावेज़ न बने, जमीनी बदलावों का जरिया बने।
“PRIME अब ‘परमिशन’ नहीं, ‘परफॉर्मेंस’ पर काम करेगा।”
पंच –
राज्य की योजना कुछ यूं है:
स्टार्टअप्स को दो इनोवेशन, तीन मीटिंग्स और एक चाय के साथ ब्रांड वैल्यू बढ़ाने की छूट मिलेगी। लेकिन PPT में Spelling गलत हुई, तो फंडिंग कटौती तय है।
नॉर्थईस्ट इंडिया का नया स्टार्टअप हब बनने की ओर
मेघालय की यह नई स्टार्टअप नीति सिर्फ युवाओं के लिए अवसर नहीं, आत्मनिर्भरता की आंधी साबित हो सकती है।
अब जरूरत है — “सही नीति, सही प्लान और सही प्लेटफॉर्म” की।