
कभी जनता दल (सेक्युलर) के सांसद रहे प्रज्वल रेवन्ना अब जनता की अदालत से बाहर और कानून की अदालत में अंदर हैं।
कर्नाटक की एमपी-एमएलए कोर्ट ने उन्हें रेप केस में दोषी ठहराया है। जिस केस ने प्रदेश की राजनीति को झकझोर दिया था, अब उसका नतीजा आ गया है—और इस बार नतीजा चुनाव का नहीं, चरित्र का था।
केस की पृष्ठभूमि: फार्महाउस, पावर और पाप की कहानी
प्रज्वल रेवन्ना पर आरोप था कि उन्होंने हासन जिले के होलेनरसीपुरा स्थित अपने फार्महाउस में एक नौकरानी से रेप किया। यह मामला सिर्फ निजी आचरण का नहीं, राजनीतिक सड़ांध का भी प्रतीक बन गया था।
वे पिछले 14 महीने से जेल में हैं, और अब कोर्ट ने उन्हें आधिकारिक रूप से “दोषी” करार दे दिया है।
“बात जनता की सेवा से शुरू हुई थी, पर सेवा ‘स्वार्थ’ में बदल गई।”
राजनीति में अपराध: ‘वोट बैंक’ से ‘क्राइम बैंक’ तक का सफर
रेवन्ना का नाम राजनीति में उभरते चेहरों में शुमार था। लेकिन अब उनका नाम अपराध में डूबते सितारों की सूची में है।
पार्टी हो या परिवार—सबने ‘जांच होने दो’ की स्क्रिप्ट पढ़ी, लेकिन अब कोर्ट की स्क्रिप्ट में “दोषी” छपा है।
“कुछ नेता संसद में शपथ लेते हैं, कुछ जेल में सजा।”
जनता का गुस्सा और सोशल मीडिया का ट्रायल
इस केस ने एक बार फिर साबित कर दिया कि राजनीति और अपराध का गठबंधन तोड़ना अब जनता की प्राथमिकता है।
लोगों ने तीखी प्रतिक्रियाएं दीं:
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“क्या यही है ‘जन प्रतिनिधित्व’?”
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“क्या अब JDS का मतलब ‘Justice Denied Secular’ हो गया?”
आगे क्या?
अब कोर्ट अगली सुनवाई में सजा का ऐलान करेगी। दोष सिद्ध हो चुका है, सवाल है—कितने साल, कितनी सीख?
“नेता अगर घर में ‘शेर’ हो जाए, तो लोकतंत्र की चूहे जैसी हालत हो जाती है।”
जनता देख रही है, जनता बदल रही है
प्रज्वल रेवन्ना का केस कोई एक आदमी का पतन नहीं, बल्कि उस पूरे राजनीतिक सोच का पर्दाफाश है, जो ताकत को सुरक्षा कवच समझती है।
जनता अब सिर्फ बटन दबाने वाली भीड़ नहीं, बुद्धिमान न्यायाधीश भी है—जो वक्त आने पर फैसला सुनाती है।