Starlink उड़ाएगा Wi‑Fi rural- भैंस के साथ-साथ ब्रॉडबैंड भी बंधा होगा !

Saima Siddiqui
Saima Siddiqui

एलन मस्क की कंपनी SpaceX की ये हाई-टेक सेवा, धरती के बिल्कुल पास वाली कक्षा (Low Earth Orbit) में घूमते सेटेलाइट्स से इंटरनेट देती है। मतलब अब न टावर चाहिए, न केबल—बस डिश लगाओ और नेट चलाओ!

भारत सरकार से मिल गए 3 महारथी लाइसेंस

भारत सरकार ने Starlink को तीन लाइसेंस दे दिए हैं, जिससे ये गांव-गांव इंटरनेट पहुंचा सकेगा। चलिए समझते हैं इन्हें आसान भाषा में:

1. GMPCS – मोबाइल नेट अब तारों से मुक्त

Global Mobile Personal Communication by Satellite.
अब बिना टॉवर के मोबाइल पर नेट मिलेगा। वो भी सिक्योर तरीके से, ताकि सरकार भी चैन से निगरानी कर सके। प्राइवेसी की कुंजी यहीं से मिलती है।

2. VSAT – Dish लगाओ, नेट पाओ

Very Small Aperture Terminal.
छोटा डिश एंटीना लगाओ, ऑफिस हो या घर—सीधे ऊपर वाले (सैटेलाइट) से नेट मिलेगा। गांव में शादी में DJ लाओ या BPO खोलो—VSAT है न!

3. ISP – कंपनी से कनेक्ट रहो

Internet Service Provider License.
बड़ी कंपनियों, सरकारी दफ्तरों, कॉलेजों तक नेट पहुंचाने की खुली छूट। मतलब अब बुलेट ट्रेन नहीं तो ब्रॉडबैंड तो दौड़ेगा!

देश को होंगे क्या-क्या फायदे?

  • पहाड़ से लेकर पठार तक इंटरनेट—टॉवर की जरूरत नहीं।

  • टेली-मेडिसिन से गांव की अम्मा डॉक्टर को वीडियो कॉल कर सकेंगी।

  • स्कूल-कॉलेज को मिलेगा तेज नेट, ऑनलाइन क्लास नहीं कटेगी।

  • सेना को फायदा, सीमाओं पर भी मिलेगा कनेक्शन।

  • BPO, स्टार्टअप, डिजिटल गांव, अब सच में “डिजिटल इंडिया”।

  • भारत बनेगा ग्लोबल सैटेलाइट नेटवर्क का हिस्सा।

लेकिन सबकुछ इतना आसान भी नहीं…

Starlink को तीन लाइसेंस मिल गए हैं, लेकिन असली मसला तो स्पेक्ट्रम का है। भारत सरकार को अब तय करना है कि ये स्पेक्ट्रम मुफ्त देंगे, नीलामी करेंगे या एक बोली लगवाएंगे? और TRAI यानी टेलीकॉम रेगुलेटर अंकल भी इसमें निर्णायक किरदार निभाएंगे।

एलन मस्क के डिश से क्या बदलेगा?

सोचिए एक गांव जहां चाय की दुकान पर Free WiFi है, या जहां भैंस के साथ-साथ ब्रॉडबैंड भी बंधा हो। तो अब बात सिर्फ “डिजिटल इंडिया” की नहीं, सैटेलाइट इंडिया की है। और एलन मस्क कह रहे हैं—“भारत, अब कोई रोक नहीं सकता!”

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