ऑपरेशन सिंदूर पर सवाल, चिदंबरम की जुबान से बरस रहा ‘सियासी गुलाल’

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

पहलगाम आतंकी हमले के बाद सरकार की जवाबदेही पर सवाल खड़े करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने अपने बयान से एक बार फिर बवाल खड़ा कर दिया। उन्होंने सरकार से पूछा, “आतंकी कहां हैं? आप मान कैसे रहे हैं कि वे पाकिस्तान से आए थे? कोई सबूत है?”

बस, फिर क्या था — विपक्ष ने सवाल उछाला, सरकार ने गुस्सा उड़ेला, और देश के सामने एक और “सियासी गाथा” शुरू हो गई।

“कहीं यहीं के तो नहीं थे आतंकी?” – चिदंबरम का शक

‘द क्विंट’ को दिए इंटरव्यू में चिदंबरम ने कहा:

“सरकार को पता है कि हमला किसने किया? आपने कौन सा सबूत देखा है जो बताता है कि आतंकी पाकिस्तान से आए थे? क्या पता वे स्थानीय हों?”

अब जब कोई पूर्व गृहमंत्री ऐसा कहे, तो सवाल सिर्फ सरकार पर नहीं, उनकी सोच पर भी उठता है।

“ऑपरेशन सिंदूर में कुछ तो गड़बड़ है!” – चिदंबरम का दावा

चिदंबरम ने कहा कि सरकार ने शायद शुरू में कुछ रणनीतिक गलतियां कीं, जिन्हें अब छुपाया जा रहा है। उन्होंने पूछा:

“CDS सिंगापुर में बयान दे रहे हैं, आर्मी डिप्टी मुंबई में बोल रहे हैं और नेवी अफसर इंडोनेशिया में… PM और रक्षा मंत्री चुप क्यों हैं?”

ऐसा लगा जैसे देश की रणनीति Zoom कॉल्स पर तय हो रही हो, और चिदंबरम साहब खुद जासूसों की तैनाती जांच रहे हों।

“NIA क्या कर रही है? और आप क्या कर रहे हैं?” – बीजेपी का पलटवार

बीजेपी नेता अमित मालवीय बोले:

“कांग्रेस बार-बार पाकिस्तान को बचाने क्यों दौड़ पड़ती है? क्या वे भारत में विपक्ष हैं या इस्लामाबाद में प्रवक्ता?”

बीजेपी का कहना है कि यह वही कांग्रेस है जो बालाकोट स्ट्राइक पर सबूत मांगती है, सर्जिकल स्ट्राइक पर शक करती है, और अब पहलगाम हमले पर सवाल कर रही है।

“कांग्रेस पाकिस्तान की पीआर एजेंसी बन गई है!” – अनुराग ठाकुर का हमला

अनुराग ठाकुर ने कहा:

“पाकिस्तान भी अपनी पैरवी इतनी शिद्दत से नहीं करता जितनी कांग्रेस करती है। ये सिर्फ वोट बैंक नहीं, मानसिकता की बीमारी है।”

उन्होंने ये भी कहा कि पूर्व गृह मंत्री का इस समय ऐसा बयान देना दर्शाता है कि कांग्रेस राष्ट्रीय हित से ऊपर राजनीति रखती है।

“देशद्रोही संगठन” बोल गए निशिकांत दुबे

बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने चिदंबरम के बयान को लेकर तल्ख टिप्पणी की:

“कांग्रेस का अब देश के साथ कोई रिश्ता नहीं बचा। वो अब सिर्फ राजनीति का पुराना खंडहर है जिसमें पाकिस्तान की गूंज सुनाई देती है।”

उन्होंने यहां तक कह दिया कि जब पीएम मोदी जैसे नेता आते हैं, तो कांग्रेस का एजेंडा फेल हो जाता है, और वो बौखला कर ऐसे बयान देती है।

“राज्यसभा में पूछिए, टीवी पर नहीं!” – संजय जायसवाल की सलाह

बीजेपी नेता संजय जायसवाल ने कहा:

“चिदंबरम जी राज्यसभा सांसद हैं। उन्हें सवाल वहीं पूछना चाहिए, न कि मीडिया के ज़रिए देश को गुमराह करना चाहिए।”

साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि आज की संसद बहस से विपक्ष भागेगा नहीं — वरना फिर वही कहानी होगी: “नारे होंगे, जवाब नहीं।”

सियासत में सवाल पूछना जरूरी है, पर टाइमिंग और टोन सब कुछ है

चिदंबरम के सवाल कई मायनों में तर्कपूर्ण लग सकते हैं, लेकिन उस समय पर, जब देश पहलगाम हमले से उबरने की कोशिश कर रहा हो — ऐसे सवालों से सियासी सस्पेंस पैदा होता है।

क्या सरकार जवाब देगी?
क्या विपक्ष बहस से नहीं भागेगा?
या फिर अगली ब्रेकिंग न्यूज़ तक इस मुद्दे को खींचा जाएगा?

जवाब वही जानता है, जिसके पास माइक हो, कैमरा हो… और एक धमाकेदार हेडलाइन हो।

लोकसभा लाइव या कॉमेडी शो? – प्रश्नकाल में फिर छाया सियासी ड्रामा

Related posts

Leave a Comment