
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग ज़िले में स्थित केदारघाटी में शुक्रवार को भीषण बादल फटने (Cloudburst) की घटना हुई है।
तेज बारिश के साथ आए मलबे और पानी के सैलाब ने कई घरों को अपनी चपेट में ले लिया। कई मकान पूरी तरह दब गए हैं और लोगों के फंसे होने की आशंका है।
मौके पर राहत और बचाव कार्य जारी
स्थानीय प्रशासन, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें मौके पर पहुंच चुकी हैं। रेस्क्यू ऑपरेशन तेजी से चलाया जा रहा है।
मौसम खराब होने के बावजूद लोगों को सुरक्षित निकालने का प्रयास लगातार जारी है।
तबाही की तस्वीरें
घरों की जगह अब सिर्फ मलबा और पानी बह रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि “इतना पानी हमने कभी एक साथ नहीं देखा।”
क्यों बार-बार तबाही का शिकार होती है केदार घाटी?
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केदारनाथ क्षेत्र पहले भी 2013 की विनाशलीला का गवाह रह चुका है।
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भारी वर्षा, ग्लेशियर मेल्ट और बादल फटने जैसी घटनाएं यहां लगातार जलवायु परिवर्तन के संकेत दे रही हैं।
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विशेषज्ञ बार-बार चेताते आए हैं कि यह इलाका बेहद संवेदनशील है और यहां इन्फ्रास्ट्रक्चर को स्थिरता के हिसाब से विकसित किया जाना चाहिए।
प्रशासन की अपील
प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे नदी किनारे या पहाड़ी क्षेत्रों में ना जाएं, और अफवाहों से बचें। साथ ही आपदा कंट्रोल रूम से संपर्क में रहने की सलाह दी गई है।
उत्तराखंड की यह आपदा एक बार फिर प्राकृतिक आपदाओं के प्रति हमारी तैयारी पर बड़ा सवाल खड़ा करती है।
जलवायु परिवर्तन, अनियंत्रित विकास और संवेदनशील पहाड़ी इलाकों में भारी जनसंख्या दबाव — ये सभी मिलकर त्रासदी को आम बना रहे हैं।