
पड़ोसी पहले, भले ही चुनाव बाद! भारत एक बार फिर अपनी “Neighbourhood First Policy” के तहत अपने समुद्री पड़ोसी मालदीव को LoC (Line of Credit) और विकास योजनाओं के जरिए सहारा देने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25-26 जुलाई को मालदीव यात्रा पर जा सकते हैं – और इस बार साथ में कोई माला-मोती नहीं, बल्कि मिलियन डॉलर की मदद ले जा रहे हैं।
LoC = “Line of Credit” या “Love of Country”?
भारत और मालदीव के बीच बातचीत में एक बार फिर LoC चर्चा में है। लेकिन यह लाइन सिर्फ सीमा की नहीं, सहायता की लाइन है।
भारत मालदीव को फिर एक बड़ी लाइन ऑफ क्रेडिट देने की तैयारी में है – ताकि वह आर्थिक संकट से उबर सके और पर्यटन से आगे भी कुछ सांस ले सके।
“जब पड़ोसी की जेब ढीली हो, तो भारत LoC से पूरी पेंट ही सिलवा देता है।”
भारत के फंड से बने प्रोजेक्ट: “भाईजान, ये सब आपके लिए है”
मोदी सरकार ने मालदीव में अब तक 56 परियोजनाओं को मंजूरी दी है, जिनमें से 14 पूरी हो चुकी हैं। उम्मीद है कि इस यात्रा में पीएम मोदी कुछ और प्रोजेक्ट्स का फीता काटेंगे – और तस्वीरों में बड़ी सी मुस्कान के साथ नजर आएंगे।
विकास का यह नया मॉडल है: “पड़ोसी के घर भी रोशनी हो, फोटो हमारी आए।”
ट्रेजरी बिल्स: जब मदद भी ब्याज-रहित हो
भारत ने मई में मालदीव को $50 मिलियन की ट्रेजरी बिल सहायता दी थी – बिना ब्याज के! यह कोई चिट फंड स्कीम नहीं, बल्कि वह भरोसे की रेखा है जो भारत वर्षों से खींचता आया है।

“इस बिल पर न ब्याज है, न उलाहना — ये तो बस दोस्ती की किश्त है!”
मोदी की यात्रा, मौका राष्ट्रीय दिवस का
मालदीव का राष्ट्रीय दिवस भी इसी समय आता है। ऐसे में पीएम मोदी का दौरा एक राजनयिक गिफ्ट हैंपर जैसा है – जिसमें LoC, प्रोजेक्ट उद्घाटन और दोस्ती के इमोशनल डायलॉग्स शामिल हैं।
पड़ोसी फर्स्ट नीति: कर्ज नहीं, करुणा का विस्तार
भारत की “पड़ोसी पहले” नीति एक बार फिर एक्टिव मोड में है। आलोचक कह सकते हैं, “घरेलू मुद्दे पहले सुलझाओ”, लेकिन विदेश नीति के समर्थक कहेंगे, “जो पास है, उसे साथ रखो”।
“जब दुनिया चीन से डरती है, भारत LoC से भरोसा बांटता है!”
हर दिन नया नाम, चुनाव का काम — बीजेपी अध्यक्ष पद बना सस्पेंस ड्रामा
