
1968 की “पड़ोसन” कोई साधारण रोमांटिक कॉमेडी नहीं थी, बल्कि यह उन लोगों की पवित्र गाथा है जो प्रेम के लिए कुछ भी करने को तैयार थे—यहां तक कि संगीत भी सीख लिया! जी हां, भोलाराम (सुनील दत्त) एक ऐसा प्रेमवीर है जिसे न संगीत आता है, न तमीज़, लेकिन मोहब्बत के नाम पर वो सब सीख जाता है — थिरकना छोड़, थिरकाने का गुर भी!
चेहरा चिपचिपा या चमकदार? सावन में स्किन केयर के देसी जुगाड़
जब किशोर कुमार बने गायक और गाइड
किशोर कुमार उर्फ “विद्यापति” यानी वो दोस्त जो ना केवल आपके प्यार को बचाता है, बल्कि खुद गाकर आपके लिए इश्क़ के मैदान में रन बना देता है।
“मेरे सामने वाली खिड़की में” जैसे गाने आज भी इंस्टाग्राम रील्स में धड़ल्ले से चलते हैं, मतलब फिल्म 1968 की और ट्रेंड 2025 का!
महमूद की साउथ एक्सप्रेस: RAC सीट पर तमिल एक्सेंट
महमूद का ‘साउथ इंडियन म्यूजिक मास्टर’ वाला किरदार एक ऐसा स्टीरियोटाइप है जिसे आज के दौर में चलाना मुश्किल है, लेकिन फिर भी… भाई ने उस ज़माने में जितना हँसाया, उतना तो आजकल के स्टैंडअप स्पेशल भी नहीं कर पाते।
मस्ती + म्यूजिक = मास्टरपीस
“एक चतुर नार” – यह गाना सिर्फ एक सिचुएशनल सॉन्ग नहीं, बल्कि एक वोकल बैटल है जो किसी रैप बैटल से कम नहीं है। किशोर कुमार बनाम महमूद = भारत का पहला म्यूजिकल स्ट्रीट फाइट।
क्यों देखें आज भी?
-
अगर आपको म्यूजिक कॉमेडी पसंद है,
-
अगर आपने कभी दोस्त की मोहब्बत बचाने के लिए खुद गाना गाया हो (या गवाया हो),
-
और अगर आपके मोहल्ले में भी कभी कोई ‘पड़ोसन’ आई थी…
तो भाई, ये फिल्म रेट्रो रिवाइवल की पराकाष्ठा है!
सिनेमा सबक: प्यार में ना सही, प्लेबैक सिंगर बनने में देर मत कीजिए!
“पड़ोसन” एक टाइमलेस कॉमेडी है, जिसमें रोमांस, म्यूजिक, ब्रोमांस और वो सबकुछ है जो आज के ओटीटी में मिक्स करके भी नहीं मिल पाता। यह फिल्म बताती है कि अगर माइक और म्यूजिक है, तो मजनू को लैला ज़रूर मिलेगी।
लॉर्ड्स 2025: जडेजा लड़ा, बुमराह डटा… पर इन 5 वजहों ने दिल तोड़ दिया