
12 जून 2025 की दोपहर, अहमदाबाद एयरपोर्ट से टेकऑफ के कुछ मिनट बाद ही एयर इंडिया का बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान क्रैश हो गया। इस भयानक हादसे में 265 लोगों की जान चली गई। पूरा देश सदमे में है और हर किसी के मन में एक ही सवाल है – आखिर ऐसा हुआ क्यों?
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जवाब देगा ब्लैक बॉक्स
हादसे के कारणों की तह तक जाने के लिए अब उम्मीद है उस ब्लैक बॉक्स से, जो विमान के पिछले हिस्से में सुरक्षित रहता है। यही डिवाइस वह चुपचाप गवाह है, जो आखिरी पल तक सबकुछ रिकॉर्ड करता है – पायलट की आवाज, मशीनों की बीप, चेतावनी अलार्म और तकनीकी जानकारी।
ब्लैक बॉक्स क्या होता है?
ब्लैक बॉक्स दो मुख्य हिस्सों में बंटा होता है:
CVR (Cockpit Voice Recorder) – यह पायलट और सह-पायलट की बातचीत, कॉकपिट के भीतर की आवाजें, इंजन की ध्वनि, अलार्म और रडार कम्युनिकेशन रिकॉर्ड करता है।
FDR (Flight Data Recorder) – यह विमान की ऊंचाई, गति, दिशा, तापमान, फ्लैप पोजीशन, इंजन का प्रदर्शन जैसे सैकड़ों पैरामीटर्स को रिकॉर्ड करता है।
इन दोनों के सहारे क्रैश की आखिरी सेकंड तक की पूरी कहानी पता चल सकती है।
जब सब जल जाए, तब भी क्यों बचा रहता है?
ब्लैक बॉक्स दिखने में काला नहीं बल्कि नारंगी रंग का होता है, ताकि मलबे में आसानी से देखा जा सके। यह टाइटेनियम या स्टेनलेस स्टील से बना होता है और इसे:
1100°C तक की आग
3400 G तक का झटका
14,000 फीट पानी की गहराई का दबाव
झेलने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस पर लगे बीकन सिग्नल 30 दिनों तक पानी के अंदर भी लोकेशन भेजते रहते हैं।
ब्लैक बॉक्स की शुरुआत कैसे हुई?
इस क्रांतिकारी तकनीक की शुरुआत 1953 में ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक डेविड वॉरेन ने की थी। उनके पिता एक विमान हादसे में मारे गए थे, जिसके बाद उन्होंने कॉकपिट की आवाजों को रिकॉर्ड करने की प्रणाली विकसित की। शुरुआत में इसे महत्व नहीं दिया गया, लेकिन 1960 के दशक से इसे अनिवार्य किया गया।
ब्लैक बॉक्स कैसे करता है मदद?
जांचकर्ता CVR की रिकॉर्डिंग सुनकर यह समझने की कोशिश करते हैं कि:
पायलटों की बातचीत से कोई टेंशन या तकनीकी दिक्कत तो नहीं झलक रही थी?
इंजन की आवाज सामान्य थी या उसमें रुकावट?
कोई चेतावनी अलार्म बजा?
FDR की मदद से तकनीकी स्तर पर यह जाना जाता है कि विमान की ऊंचाई, स्पीड, इंजन आउटपुट में कब और कैसे गड़बड़ी आई।
हेलिकॉप्टर में होता है क्या?
हां, हेलिकॉप्टर में भी एक कंबाइंड रिकॉर्डर होता है, जो टाइम, दिशा, पावर, रोटर स्पीड, तापमान आदि को रिकॉर्ड करता है। हालांकि, कुछ छोटे हेलिकॉप्टर्स में यह अनिवार्य नहीं है।
क्या ब्लैक बॉक्स 100% परफेक्ट होता है?
नहीं। ब्लैक बॉक्स मददगार तो है, लेकिन सर्वगुणसंपन्न नहीं।
उदाहरण:
MH370 (2014): मलेशिया एयरलाइंस का विमान गायब हो गया, और ब्लैक बॉक्स का सिग्नल नहीं मिला।
2024 में जेजू एयर का हादसा – डेटा मिला लेकिन आखिरी कुछ मिनटों की रिकॉर्डिंग गायब थी।
इन घटनाओं से पता चलता है कि कभी-कभी ब्लैक बॉक्स भी चुप रह जाता है।
ब्लैक बॉक्स बोलेगा तो मौत की मिस्ट्री खुलेगी
अहमदाबाद क्रैश में 265 लोगों की जान चली गई, लेकिन इस हादसे की असली वजह अब भी एक रहस्य है। उम्मीद है, ब्लैक बॉक्स उस मौन साक्षी की तरह सच बयान करेगा, जो न इंसान है, न भावुक – लेकिन उसकी रिकॉर्डिंग से इंसानियत की गलती सुधारी जा सकती है।
आखिरी सवाल…
क्या टेक्नोलॉजी को अब इतना अपग्रेड करना होगा कि ब्लैक बॉक्स डेटा क्लाउड में सेव हो? ताकि अगली बार हादसे के बाद उसे ढूंढने की जरूरत ही न पड़े?
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