
114 साल की उम्र में भी जिनकी चाल नौजवानों को शर्मिंदा कर देती थी, वो फौजा सिंह आखिरकार एक तेज़ फॉर्च्यूनर से मात खा गए। वो सुबह भी आम थी, लेकिन हादसा इतना बड़ा था कि पूरे देश को झटका लग गया।
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कैसे हुआ हादसा? टर्बन टॉरनेडो की आखिरी सैर
14 जुलाई को जालंधर के पास अपने गांव में रोज़ की तरह फौजा सिंह सैर पर निकले थे। पर किसे पता था कि ‘टर्बन टॉरनेडो’ का GPS आज डेस्टिनेशन: स्वर्ग दिखा रहा था।
एक तेज़ रफ्तार अज्ञात गाड़ी ने उन्हें टक्कर मारी और मौके पर ही उनकी जान चली गई। दुख की बात ये नहीं कि हादसा हुआ — दर्द की बात ये कि 114 साल तक ज़िंदगी की रेस जीतने वाला इंसान एक लापरवाह ड्राइवर से हार गया।
24 घंटे में सुलझा केस – पुलिस ने टर्बो मोड में की जांच
पंजाब पुलिस, जो आमतौर पर “जांच जारी है” स्टेटस पर रहती है, इस बार जेम्स बॉन्ड मोड में आ गई। सीसीटीवी फुटेज, गवाहों और कार नंबर से कड़ी जोड़ते हुए पुलिस ने पहले वरिंदर सिंह को पकड़ लिया।
वरिंदर बोला – “कार तो मैंने दो साल पहले बेच दी थी जी।”
पुलिस बोली – “बिल गाड़ी का तेरा, टक्कर किसी और का!”
कौन है अमृतपाल ढिल्लों?
30 वर्षीय अमृतपाल सिंह ढिल्लों, जो एनआरआई होते हुए भी देसी ट्रैफिक सेंस नहीं सीख पाया, कनाडा से लौटा था। फॉर्च्यूनर से टक्कर मारकर मौके से फरार हो गया था — क्योंकि भागना तो आदत बन गई है, चाहे टूरिस्ट वीज़ा हो या एक्सीडेंट।
कैसे हुआ ट्रैक?
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कार नंबर से पहचान
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पूर्व मालिक से लिंक
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सोशल मीडिया अकाउंट से लोकेशन
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और फिर… कपूरथला में पुलिस का रेड कार्पेट अरेस्ट।
पूछताछ में अमृतपाल बोला – “मुझे नहीं पता था वो फौजा सिंह थे, टीवी पर देखा तो पता चला।”
वाह भाई! तो क्या आप ने सोचा कोई 114 साल का साधारण बंदा ऐसे सड़क पर घूम रहा होगा, नाश्ता ढूंढते हुए?
कौन थे फौजा सिंह?
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नाम – टर्बन टॉरनेडो
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काम – दुनिया को दौड़ लगवाना
उनकी लाइफ कहती थी –
“मंज़िल मिले न मिले, दौड़ना मत छोड़ो।”
लेकिन इस बार… कोई और बहुत तेज़ दौड़ गया।
आगे क्या?
पुलिस ने अमृतपाल को कोर्ट में पेश करने की तैयारी की है। रिमांड माँगी जाएगी, जांच और होगी — लेकिन असली सवाल ये है:
सड़क सुरक्षा कब दौड़ेगी उतनी तेज़, जितना फौजा सिंह दौड़ते थे?
फौजा सिंह गए, लेकिन सड़क हादसे का मुद्दा फिर ज़िंदा कर गए
114 साल की उम्र में इंसान आमतौर पर कंबल ओढ़कर चाय पीता है।
लेकिन फौजा सिंह — उन्होंने रनिंग शूज़ पहने, मैराथन की रेस की, और दुनिया को बताया कि उम्र केवल एक नंबर है। अब उनकी मौत सिर्फ एक केस नहीं — ये सड़क सुरक्षा पर सबसे ज़ोरदार तमाचा है।