
1948 में जब इज़राइल बना, तो पूरी अरब दुनिया ‘नो वे’ मोड में थी। लेकिन ईरान? उसने न सिर्फ हाथ मिलाया, बल्कि तेल से भरी हुई गाड़ी भी भेज दी। अमेरिका खुश, इज़राइल खुश, शाह खुश। दोनों देश एक-दूसरे के इंटेलिजेंस एजेंसी को डेट कर रहे थे – मोसाद और SAVAK की ‘गुप्त मीटिंग्स’ में चाय के साथ हथियारों की डील भी चलती थी।
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ब्रेकअप टाइम: क्रांति आई और प्यार गया तेल लेने
1979 में ईरान में इस्लामिक क्रांति आ गई। शाह गए, खामेनी आए, और दोस्ती गई। नई सरकार ने इज़राइल को ‘छोटा शैतान’ कहा और पासपोर्ट पर ‘इज़राइल यात्रा निषेध’ छाप दिया। जैसे किसी एक्स ने फेसबुक पर ब्लॉक करके इंस्टाग्राम भी डिलीट कर दिया हो।
अब ‘एक्स’ ने रॉकेट भेजा है: गाजा, हमास और हिज़बुल्ला से होते हुए अब तेहरान पर मिसाइल
ईरान ने हिज़बुल्ला, हमास और यमन के हूतियों को ट्रेनिंग देना शुरू किया – “इज़राइल से कैसे लड़ें 101” नामक कोर्स के साथ। जवाब में इज़राइल ने भी ‘आयरन डोम’ की छतरी तानी और अब 2025 में मिसाइलों की बारिश हो रही है।
13 जून की सुबह: गुड मॉर्निंग तेहरान, इज़राइल स्टाइल!
इज़राइल ने ईरान की परमाणु साइट्स को निशाना बनाया। जवाब में ईरान ने बैलिस्टिक मिसाइलों से तेल अवीव को “हैलो” कहा। नेतन्याहू ने कहा, “अब ये युद्ध तब तक नहीं रुकेगा जब तक खामेनेई आउट नहीं हो जाते।” यानी क्रिकेट में भी रिटायर्ड हर्ट मानने का स्कोप नहीं बचा।
2025 की जंग: ‘दोस्ती का 77वां साल – अब खून से केक कटेगा?’
ग़ज़ा में हमलों के बाद मिडिल ईस्ट वैसे भी सुलग रहा था, अब इसमें दोनों पुराने दोस्त—ईरान और इज़राइल—अपनी “ब्रेकअप एनीवर्सरी” मिसाइलों से मना रहे हैं। कोई गिफ्ट एक्सचेंज नहीं, सिर्फ विस्फोट!
सीख क्या है?
राजनीति में पक्की दोस्ती की कोई गारंटी नहीं होती। और जब रिश्ते टूटते हैं तो ब्लॉक करने से लेकर ब्लास्ट करने तक कुछ भी हो सकता है। बस फर्क इतना है – आम ब्रेकअप में गाने सुनते हैं, यहां मिसाइलें चलती हैं।