
जैसे ही ट्रंप ने मंगलवार सुबह ट्रुथ सोशल पर ऐलान किया कि “अब बस करो, लड़ाई बंद”, सबने राहत की सांस ली।
लेकिन वो कहावत है ना — “शांति सिर्फ कागज़ पर होती है, माइक्रोफोन पर नहीं!”
ईरान और इसराइल दोनों देशों ने फौरन अपने-अपने मीडिया चैनलों पर जीत के झंडे गाड़ दिए। और अब दुनिया ये सोच रही है कि “अगर दोनों जीत गए, तो हारा कौन?”
“बॉस, बम मत गिराओ!” — ट्रंप का ताऊ स्टाइल अलर्ट इसराइल के नाम
ईरान: ‘बशारत-ए-फतह’… टीवी पर विजय का नगाड़ा
ईरानी सरकारी चैनल IRINN ने स्क्रीन पर बैनर चलाया — “यहूदीवादी दुश्मनों को हरा दिया गया, ऑपरेशन बशारत-ए-फ़तह सफल!”
मतलब, अमेरिका के बम गिरे, जवाब में अल-उदैद बेस पर मिसाइलें चलीं — और अब बोले हम जीत गए। यहां तक कि रेडियो VIRI ने भी ट्रंप को ‘भीख मांगने वाला’ करार दे दिया — बोले, “अब शांति के लिए गिड़गिड़ा रहे हैं।”
इसराइल: “हमने तो E=mc² के साथ ईरान को उड़ा दिया”
वहीं, इसराइली मीडिया ने कहा — “ईरान की हार! परमाणु प्रोग्राम तबाह!” नेतन्याहू समर्थक चैनल 14 ने इसे ‘मिलिट्री मास्टरस्ट्रोक’ बताया और कहा:
“अब ईरान को उसके पड़ोसी भी हल्की निगाह से देखेंगे।” कुछ समीक्षक तो नेतन्याहू और ट्रंप को “ऐतिहासिक जोड़ी” बता बैठे — जैसे कि ये कोई नवीन-जावेद मिलिट्री वर्जन हो।
ट्रंप: “बम मत गिराओ, मैं बोल रहा हूँ ना!”
जैसे ही मीडिया में जीत का तूफ़ान चला, ट्रंप दोबारा ट्रुथ सोशल पर प्रकट हुए —“इसराइल, बम मत गिराओ! पायलटों को घर बुलाओ।”
मतलब, संयुक्त राष्ट्र नहीं, अब वर्ल्ड ऑर्डर ट्रंप की टाइमलाइन से चलेगा। कुछ यूज़र्स ने तो ये तक कह दिया — “ये युद्ध नहीं, एक रियलिटी शो चल रहा है, और ट्रंप इसका प्रोड्यूसर है।”
वास्तविकता: युद्धविराम का मतलब सिर्फ ट्वीट तक
ईरान का दावा: हमने जंग जीती, अमेरिका पीछे हटा।
इसराइल का दावा: हमने ईरान के टारगेट उड़ा दिए, अब वो सरेंडर कर रहे हैं।
ट्रंप का दावा: “मैंने सब ठीक किया। Peace is the new Trump card.”
सच ये है कि सीज़फायर तो हो गया, लेकिन चैनलों पर अभी भी धमाके चल रहे हैं।
अब क्या? फिर से ‘बटन दबा दें’ मोड में हैं सब?
रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि अब भी टकराव की आशंका बनी हुई है। क्योंकि हर पक्ष जीत का झंडा लेकर मैदान में उतर चुका है —
और जीत का स्वाद सबको इतना भा गया है कि कोई पीछे नहीं हटना चाहता।
ये सीज़फायर है या सोशल मीडिया की WWE?
जिस तरह हर पक्ष अपना नैरेटिव चला रहा है, उसे देखकर लगता है कि जंग सिर्फ मिसाइलों से नहीं, हैशटैग्स और हेडलाइनों से भी लड़ी जा रही है।
अब देखना ये है कि ट्रंप का “Don’t bomb” वाला ज्ञान कितनी देर शांति बनाए रख पाता है —
या फिर अगली सुबह कोई फिर से बोलेगा,
“ओपरेशन विजय 2.0 शुरू!”
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