अब ना टाइमटेबल बनेगा, ना टॉपर उठेगा – बस जो याद है वही जलेगा!

Prabhash Bahadur civil services mentor
Prabhash Bahadur Civil Services Mentor

यूपीपीसीएस 2025 प्रीलिम्स की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है — और कुछ अभ्यर्थी अब भी ‘परफेक्ट शेड्यूल’ नामक पौराणिक ग्रंथ पर शोध कर रहे हैं।

सच कहें तो अब कोई “मैजिकल प्लान” नहीं बनेगा, बस वही चलेगा जो आपके दिमाग़ और नोटबुक में पहले से जमा है।

अब नई किताब नहीं, पुरानी कॉपी उठाओ – और याद करो कसम से!

“कम सामग्री, ज़्यादा पुनरावृत्ति” — यही आख़िरी 20 दिनों का ब्रह्मास्त्र है। अब नई PDF डाउनलोड करोगे तो सिर्फ़ टेंशन डाउनलोड होगी।
पुराने नोट्स को एक और बार चबाओ — वो चीज़ें भी याद आ जाएंगी जो कभी क्लास में सुनी थीं और कभी लिखी नहीं थीं।

PYQs: परीक्षा की चाबी, जो हर दरवाज़ा खोलती है

पिछले वर्षों के प्रश्नपत्र (PYQs) अब सिर्फ़ रिवीजन टूल नहीं, बल्कि “परीक्षक के दिमाग़ का एक्स-रे” हैं।

हर सवाल में छिपा होता है एक पैटर्न, एक झुकाव, एक राज़ — और वही राज़ आपको लखनऊ से लोटपोटपुर जाने से बचा सकता है।

इतिहास और भूगोल: यूपीपीसीएस के असली बाबूजी

कोई भी साल उठा लो — प्रश्न सबसे ज़्यादा इन्हीं दो विषयों से आते हैं। इतिहास पढ़ो, ताकि वर्तमान बनाओ। भूगोल पढ़ो, ताकि नक्शा दिमाग़ में हो और नसीब का नक्शा भी बन जाए। इन्हें इग्नोर करना वैसा ही है जैसे कानपुर में चाय मांगना और चाय वाले को “कॉफी प्लीज़” कहना — ख़तरनाक और अपमानजनक।

करेंट अफेयर्स और Miscellaneous – वही जगह जहां सब बराबर होते हैं

चाहे आप पहली बार के योद्धा हों या छठवें प्रयास के बटुक, इन हिस्सों में सभी एक जैसी हालत में होते हैं। अब तक की पढ़ी खबरें, सरकारी योजनाएं, पुरस्कार, घटनाएं — सबको उँगलियों की पोरों पर ले आओ। यह क्षेत्र अधिकतम स्कोर, न्यूनतम मेहनत (अगर पहले पढ़ा हो) देने की पावर रखता है।

“UPPCS में टॉप वो नहीं करता जो सब कुछ जानता है, बल्कि वो करता है जो सही चीज़ें बार-बार पढ़ता है”

यह परीक्षा ज्ञान की नहीं, स्मृति और संयम की है। इस समय सबसे बुद्धिमान निर्णय यही है कि आप एक विषय को चार बार पढ़ें, ना कि चार विषयों को एक बार। और हाँ, अगर आप रिवाइज़ करते हुए मुस्करा पा रहे हैं, तो समझिए कि आप मानसिक रूप से तैयारी की सही दिशा में हैं

Vision Vidya IAS की अंतिम सलाह – “20 दिन = 20 साल की नींव”

हम लखनऊ से आपको यही कहना चाहते हैं:

अब कुछ नया सीखने का नहीं, खुद को साबित करने का वक़्त है।  ये 20 दिन बौद्धिक युद्ध के आखिरी हथियारों की धार हैं।
 डरिए मत, बस फोकस रखिए — और एक बार में एक चीज़ खत्म कीजिए। और हाँ, बीच-बीच में हंसना मत भूलिए — क्योंकि परीक्षा जितनी सख्त हो, मुस्कान उतनी ज़रूरी।

तो आज की मंत्र-गूंज यह हो:

पुनरावृत्ति ही ब्रह्मास्त्र है, और संयम ही विजयी का श्रृंगार।अब टाइम है पेन चलाने का, पैनिक करने का नहीं।

अखिलेश यादव का तीखा सवाल: विदेश नीति है या ‘फोटोशूट नीति’?

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