
लखनऊ से आई बड़ी खबर ने यूपी की ब्यूरोक्रेसी में हलचल मचा दी है। योगी सरकार ने 46 IAS अधिकारियों के तबादले कर दिए हैं — जिसमें कमिश्नर से लेकर जिलाधिकारी तक की कुर्सियाँ हिल गईं। सरकार का दावा है कि यह “प्रशासनिक सुधार” है, पर अफसरों के चेहरों पर “कब किसका नंबर आए” वाली टेंशन साफ दिखी।
कौन-कहाँ गया? नई पोस्टिंग्स की पूरी लिस्ट में चर्चित नाम
सरकार की नई अधिसूचना के मुताबिक:
- आईएएस धनलक्ष्मी → डीजी, मत्स्य विभाग
- आईएएस राजेश कुमार → मंडलायुक्त, मिर्जापुर
- आईएएस प्रखर कुमार सिंह → CDO, वाराणसी
- आईएएस नंद किशोर कलाल → उपाध्यक्ष, गाजियाबाद प्राधिकरण
- आईएएस बालकृष्ण त्रिपाठी → सचिव, सचिवालय सामान्य प्रशासन
- आईएएस हिमांशु नागपाल → नगर आयुक्त, वाराणसी
- आईएएस पूर्ण वोहरा → उपाध्यक्ष, वाराणसी
- आईएएस वन्दिता श्रीवास्तव → CDO, कुशीनगर
- बलरामपुर और कौशांबी → नए जिलाधिकारी नियुक्त
यूपी में तबादला सिर्फ ट्रांसफर नहीं, बल्कि “पोस्टिंग पॉलिटिक्स” का वार्षिक त्यौहार है — जहां हर अफसर की नए जिले के साथ नई कहानी शुरू होती है।
योगी सरकार का तर्क — “सिस्टम में नई ऊर्जा!”
सरकार का कहना है कि ये बदलाव “प्रशासनिक दक्षता और बेहतर गवर्नेंस” सुनिश्चित करने के लिए किए गए हैं। मतलब — “पुराने चेहरे थके हुए थे, अब नए चेहरे ट्रैफिक, टेंडर और ट्रांसफर संभालेंगे।”
यूपी का प्रशासन अब “रोटेशनल फिटनेस प्रोग्राम” पर चल रहा है — हर कुछ महीनों में नया जिला, नई जिम्मेदारी, वही पुरानी फाइलें।

लखनऊ से लेकर मिर्जापुर तक — बदलाव की लहर
इस बार के फेरबदल में वाराणसी और मिर्जापुर जैसे महत्वपूर्ण जिलों के अफसरों की कुर्सी बदली गई है। राजनीतिक नज़रिया ये कहता है — “2027 की तैयारी अभी से शुरू है।”
सरकार चाहती है कि ज़मीन पर दिखे “काम”, न कि सिर्फ रिपोर्टों में आंकड़े।
ब्यूरोक्रेसी में चर्चा — “फेरबदल या फेरसोच?”
अफसरों के बीच चर्चा है कि बार-बार तबादले से न सिर्फ सिस्टम, बल्कि घर का फर्नीचर भी कन्फ्यूज हो गया है। कई जिलों में नए अफसरों के साथ पुरानी योजनाओं की “रिपीट टेलीकास्ट” फिर से शुरू होगी।
बदलाव बड़ा है, असर देखना बाकी
यूपी की नौकरशाही फिर से री-शफल मोड में है। सरकार उम्मीद जता रही है कि इससे गवर्नेंस मजबूत होगा, लेकिन जनता बस यही पूछ रही है — “फेरबदल से फर्क जमीन पर आएगा या फिर सिर्फ फाइलों में रहेगा?”
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