
भारत करे तो “स्वार्थ”, तुर्की करे तो “स्मार्ट”?
ये सवाल अब सिर्फ भारत में नहीं, वाशिंगटन के कुछ गलियारों में भी गूंज रहा है। क्योंकि तुर्की एक साथ रूस से तेल भी खरीद रहा है, यूक्रेन को ड्रोन भी भेज रहा है, ब्रिक्स मीटिंग में भी जा रहा है, और नेटो का मेम्बर भी बना बैठा है। लेकिन ट्रंप?
“अर्दोआन? Oh he’s my good friend. A terrific guy!”
दूसरी ओर भारत?
“Why are they buying oil from Russia? Increase the tariff.”
सियासत का ये double standard अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी दिखाई देने लगा है।
तुर्की की डिप्लोमेसी = संतुलन में सत्ता
तुर्की ने जो राजनीति की है, उसे एक्सेल शीट में समझाना पड़े तो Formula कुछ ऐसा होगा- Diplomatic Balance = (NATO + Russia + Ukraine + BRICS) ÷ A Strongman called Erdogan
रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने कुछ ऐसा “बड़े भाई” वाला attitude बना लिया है जहाँ वो सभी से बात करते हैं, लेकिन किसी से पूरा नहीं झुकते।
रूस से डील?
अमेरिका से जेट्स?
यूरोप से तकरार?
इसराइल को कोसना और उससे पाइपलाइन बिज़नेस भी रखना?
ये संतुलन कोई मंत्र नहीं, एक पॉलिटिकल वर्कआउट है — और अर्दोआन इसके certified trainer हैं।
जोश में होश, और ट्रंप के लिए “No special discount”
भारत भी लगभग यही मॉडल अपनाने की कोशिश करता है — रूस से तेल लेना, क्वॉड का हिस्सा बने रहना, ब्रिक्स में एंगेज रहना, और वेस्ट से दोस्ती बनाए रखना। लेकिन फिर ट्रंप आते हैं और…“India is playing both sides. We should punish them with tariffs!”

India: लेकिन तुर्की भी तो वही कर रहा है…Trump: But Erdogan is my friend. He came to my Tower, remember?
(शायद भारत को अब ट्रंप टावर इंडिया ब्रांच खोलनी चाहिए, तब जाकर Clarity आएगी।)
कूटनीति का नया नाम: “Customized Friendship with Donald”
अमेरिका की पारंपरिक पॉलिसी कहती है – “हम नियमों के आधार पर काम करते हैं।” लेकिन ट्रंप की पॉलिसी है – “हम मूड और ब्रांड के आधार पर काम करते हैं।”
इसलिए जब अर्दोआन न्यूयॉर्क में यूएनGA में आए तो ट्रंप ने बोइंग डील से लेकर F-35 की संभावनाओं तक हर चीज़ पर मीठी बात की।
भारत आया?
50% टैरिफ और “You better choose a side!” वाला tone। इसमें fault किसका है — foreign policy का या Trump की personal policy का?
“अर्दोआन डीलमेकर हैं, मोदी डिफ़ॉल्टमेकर?” – ट्रंप के नजरिए में फर्क क्यों?
अगर हम ट्रंप की आँखों से देखें, तो शायद उन्हें ये लगता है, अर्दोआन tough negotiator हैं। मोदी too balanced हैं और ट्रंप की पॉलिटिक्स में जो ज़्यादा ‘dramatic’ है, वो ज़्यादा ‘diplomatic’ भी बन जाता है।
भारत को लेकर ट्रंप के advisors तक ये कह चुके हैं कि “Modi is doing the Modi thing. Always balancing. But we want him on our side.”
तो क्या भारत की रणनीतिक स्वायत्तता, ट्रंप को रणनीतिक धोखा लगती है?
अर्दोआन का ‘Non-Aligned Plus Plus’ मॉडल
तुर्की के पास एक ऐसी पॉलिसी है, जिसे हम कह सकते हैं — “Non-Aligned 2.0 with In-Built Leverage System”
नेटो से membership ले लो, रूस से मिसाइल सिस्टम खरीद लो, इसराइल को लताड़ दो, और अमेरिका से फाइटर जेट की डील भी कर लो।
और सबके साथ सेल्फी भी खिंचवा लो। ये है अर्दोआन का “All Access Foreign Policy” पास।
ट्रंप की विदेश नीति = “जो मेरे टावर आए, वही मेरे यार!”
जहाँ भारत rules की किताब से खेलता है, वहीं अर्दोआन rulebook से बाहर निकलकर negotiation table पर धमक जाते हैं। भारत को शायद सीखना पड़ेगा कि कभी-कभी global politics में “थोड़ी बहुत ढीठता” भी ज़रूरी होती है। क्योंकि दुनिया में अब पॉलिसी से ज़्यादा Personality Driven Diplomacy चल रही है। और ट्रंप उस Personality cult के CEO हैं। अगर भारत अर्दोआन जैसी छूट चाहता है तो अगली बार मोदी को UN में ट्रंप को गिफ्ट में एक “Mini Trump Tower Replica” देना पड़ेगा — और उस पर लिखा होना चाहिए- “Only Friends Fly Drones & Buy Oil Too!”
UN में ‘ओम शांति’ बोल गए प्राबोओ, बोले- “मेरा डीएनए भी भारतीय है!”