ट्रिलियन ड्रामा? पाकिस्तानी एंकर का वायरल ‘नशे वाला’ भाषण!

साक्षी चतुर्वेदी
साक्षी चतुर्वेदी

जब देश आर्थिक दिवालियापन के मुहाने पर खड़ा हो, और टीवी पर एंकर ‘ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी’ के सपने दिखा रही हो, तो समझ लीजिए आप पाकिस्तान में हैं
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही एक पाकिस्तानी महिला एंकर का वीडियो देखकर लोग असली खबर तो भूल ही गए, लेकिन एक नई बहस छेड़ दी—क्या ये न्यूज थी या एक्टिंग का ऑडिशन?

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कैमरे पर ‘ख्वाब’ और होठों पर ‘नशा’

वीडियो में एंकर गर्दन झुकाकर, अधमुंदी आंखों और रहस्यमयी मुस्कान के साथ दावा करती हैं कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था अब 411 अरब डॉलर को पार कर चुकी है, और जल्दी ही देश “वन ट्रिलियन डॉलर” की इकॉनॉमी बनने जा रहा है।
शायद उन्होंने किसी दूसरी पृथ्वी का आर्थिक आंकड़ा पढ़ लिया, या फिर सच में कोई हाई डोज़ ले लिया था—ये फैसला तो अब जनता ही करेगी।

आईएमएफ के सहारे, ख्वाब: ट्रिलियन डॉलर!

हकीकत यह है कि पाकिस्तान आज आर्थिक अराजकता से जूझ रहा है। महंगाई रुला रही है, रुपया डूब रहा है, और IMF की किश्तों से ही सरकार की सांसें चल रही हैं।
ऐसे में जब एक एंकर राष्ट्र को कहती है कि “और टैक्स दो, ताकि खजाना भर सके“, तो यह हकीकत से नहीं, शायद ह्यूमर से प्रेरित स्क्रिप्ट लगती है।

मीडिया की जगह माइम शो?

इस क्लिप ने न सिर्फ सोशल मीडिया पर तूफान ला दिया, बल्कि पत्रकारिता की पेशेवरिता पर गंभीर सवाल भी खड़े किए
क्या यह लाइव ब्लंडर था या सरकार प्रायोजित ‘उम्मीद की खुमारी’? क्या प्रोड्यूसर सो रहा था? क्या राइटर ने स्क्रिप्ट व्हाट्सएप से उठाई थी?
या फिर यह सब कुछ जानबूझकर किया गया ताकि जनता को खोखले सपनों में उलझाकर ध्यान भटकाया जा सके?

‘लाइव कॉमेडी’ और रोते हुए एंकर

यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान के न्यूज रूम से हास्यास्पद दृश्य सामने आए हैं।
कभी कोई एंकर लाइव रो देता है, कभी डिबेट शो में हाथापाई होती है, और अब कोई नींद और नशे की सीमा पर ट्रिलियन डॉलर गिनता है
क्या ये न्यूज़रूम हैं या कॉमेडी क्लब?

एक्टिंग छोड़ दे या और प्रैक्टिस कर ले?

भारत समेत दुनियाभर के दर्शकों ने इस वीडियो को देखते ही ट्रोल और व्यंग्य का महोत्सव शुरू कर दिया

  • किसी ने कहा: “क्या एंकर थी या नींद में बोल रही थी?”

  • किसी ने तंज कसा: “पाकिस्तान की इकोनॉमी नहीं, उसकी पत्रकारिता ट्रिलियन डॉलर के फैंटेसी में जी रही है।”

मीडिया संस्थानों के लिए चेतावनी की घंटी

ये मज़ाक सिर्फ एक एंकर पर नहीं, पूरे सिस्टम पर है
जब एक देश की मीडिया खुद को ही मज़ाक बना ले, तो सवाल सिर्फ कंटेंट पर नहीं, बल्कि उस कंट्रोल रूम पर भी उठते हैं, जहां स्क्रीन पर आने से पहले कोई भी क्वालिटी चेक होना चाहिए था।

हंसी का कारण या राष्ट्रीय चिंता?

पाकिस्तान की मीडिया पहले ही सेंसरशिप, दबाव और अविश्वास के दौर से गुजर रही है। ऐसे में एक एंकर का “नशे में घोषणाएं” करना सिर्फ सोशल मीडिया का मसाला नहीं, बल्कि मीडिया की गिरती साख का संकेत है।

अगर यह नई रणनीति है, तो आने वाले समय में पाकिस्तान के न्यूज चैनल कॉमेडी सर्कस से भी मुकाबला करने लगेंगे।
और अगर यह चूक है, तो अब वक़्त है कि न्यूज रूम्स फिर से ‘न्यूज़’ बनाएं, न कि ‘नोवेल्टी शो’।

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