
तेज़ बारिश में कोई अगर आपको हंसाता हुआ नजर आए और साथ ही कंपनी की पोल भी खोल दे, तो मान लीजिए कि यह मज़ाक नहीं, सिस्टम पर व्यंग्य है।
इंटरनेट पर इन दिनों एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें एक शख्स पूरे जोश से बरसात में भीगते-भीगते बाइक चला रहा है और साथ ही कह रहा है,
“कंपनी का टारगेट पूरा होना चाहिए… जान जाए पर टारगेट न जाए।“
वायरल वीडियो का हाल – बारिश + बाइक + बॉस का डर = टॉक्सिक ट्रायल
वीडियो में युवक मजाकिया अंदाज़ में स्क्रीन पर बोल रहा है,
“मैं भीग नहीं रहा, मैं तो वॉटरप्रूफ हूं!“
“बारिश हो या बाढ़, कंपनी वालों को सेल्स से मतलब है, सैलरी से नहीं।“
वो कहता है, “कंपनी को फर्क नहीं पड़ता आप तैरकर आ रहे हो या बहकर, बस टारगेट आना चाहिए।“
यह वाकई उस वर्क कल्चर का चेहरा है जहां मानव संसाधन को केवल नंबर बनाने वाली मशीन समझा जाता है।
टारगेट वर्सेज़ ट्रैफिक: कंपनी का गणित, एम्प्लॉई का संकट
कई शहरों में भारी बारिश के चलते ट्रैफिक जाम, जलभराव और ऑफिस तक पहुंचना किसी मिशन से कम नहीं। लेकिन कंपनियों के लिए मौसम नहीं, “मंथली रिपोर्ट” अहम है।
“भले ही आप नाव में आओ, लेकिन मीटिंग में टाइम पर रहो!”
वर्क फ्रॉम होम? किस्से हैं पुराने!
जहां दुनियाभर में लोग फ्लेक्सिबल वर्क कल्चर की ओर बढ़ रहे हैं, वहीं कई कंपनियां अब भी “ऑफिस आओ वरना नौकरी से जाओ” पॉलिसी पर कायम हैं।
“बारिश का बहाना सिर्फ वो कर सकते हैं जो बॉस के रिश्तेदार हैं!”
सोशल मीडिया रिएक्शन: एम्प्लॉई बोले – ये वीडियो हमारी आत्मा बोल रही है!
लोगों ने इस वीडियो को “वर्क लाइफ बैलेंस का एक्सरे” बताया।
कुछ ने लिखा –
“ये भाई तो हर उस बंदे की आवाज़ है जो ऑफिस की Attendance Sheet से डरता है, ना कि बाढ़ से।“
सीख क्या है?
ह्यूमर भी एक हथियार है – जब कोई सिस्टम आपकी सुनता नहीं, तो हंसकर दुनिया को दिखा दो कि दर्द कहां है।
आप मीटिंग कर रहे हैं, और हैकर अकाउंट क्लीन