
कांग्रेस सांसद और पूर्व विदेश राज्य मंत्री शशि थरूर लैटिन अमेरिकी देश पनामा पहुंचे, जहां उन्होंने एक सभा को संबोधित करते हुए आतंकवाद के खिलाफ भारत के कड़े रुख की तारीफ की। खास बात यह रही कि थरूर ने मोदी सरकार के कदमों की सराहना भी की, जिस पर उनकी ही पार्टी कांग्रेस में खलबली मच गई।
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थरूर बोले – अब आतंकियों को कीमत चुकानी पड़ती है
पनामा सिटी में शशि थरूर ने साफ कहा कि भारत अब सिर्फ चोट नहीं सहता, बल्कि जवाबी हमला भी करता है।“आतंकियों को अब समझ में आ गया है कि भारत को निशाना बनाने की कीमत चुकानी पड़ेगी।”
उन्होंने 2008 के मुंबई हमले से लेकर पुलवामा और बालाकोट स्ट्राइक तक का जिक्र करते हुए कहा कि भारत अब पहले जैसा ‘शांत बैठने वाला देश’ नहीं रहा।
पाकिस्तान को सीधे निशाने पर लिया
थरूर ने अपने भाषण में पाकिस्तान को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि भारत ने आतंकवाद के हर सबूत, आतंकी की पहचान और लोकेशन पेश की, लेकिन पाकिस्तान ने एक भी दोषी पर मुकदमा नहीं चलाया।
उन्होंने अजमल कसाब की गिरफ्तारी और पाकिस्तान में मौजूद आतंकी हैंडलर्स की बात भी विस्तार से रखी।
ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र और मोदी की खुलकर तारीफ
थरूर ने हालिया ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए कहा कि यह कार्रवाई सिर्फ सैन्य नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और भावनात्मक प्रतिशोध भी था। “जब आतंकियों ने 26 महिलाओं के माथे से सिंदूर मिटा दिया, तो हमने तय किया कि अब खून का रंग सिंदूर में मिलेगा।”
उन्होंने यह भी कहा कि ये फैसले केवल सेना नहीं, बल्कि राजनीतिक नेतृत्व की दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रतीक हैं।
कांग्रेस में मचा घमासान: उदित राज ने कहा “BJP का प्रवक्ता बन गए हो!”
थरूर के इस बयान ने कांग्रेस खेमे में बवाल मचा दिया। उदित राज ने थरूर पर तीखा हमला किया, वो तो बीजेपी से भी बढ़कर मोदी जी की चमचागिरी कर रहे हैं। क्या उन्हें पता भी है कि पहले की सरकारें क्या करती थीं?

उन्होंने थरूर को BJP का सुपर प्रवक्ता बता दिया और कहा कि वे अब कांग्रेस की लाइन से बाहर जा रहे हैं।
सर्जिकल स्ट्राइक से बालाकोट तक: थरूर का तर्क
थरूर ने अपने भाषण में कहा कि
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2016 में उरी हमले के बाद LOC पार कर सर्जिकल स्ट्राइक करना भारत की नई रणनीति का आगाज़ था।
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2019 में पुलवामा हमले के बाद भारत ने अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर बालाकोट में हमला किया – ये कदम अभूतपूर्व थे।
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इन कार्रवाइयों ने आतंकियों को यह संदेश दिया कि “अब भारत चुप नहीं बैठेगा।”
एक भाषण, दो सुर
जहां शशि थरूर का बयान अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत के रुख को मजबूती देता दिखा, वहीं उनकी पार्टी में इसे लेकर सियासी टकराव खड़ा हो गया है।
क्या यह थरूर का निजी स्टैंड है या कांग्रेस के भीतर नई बहस की शुरुआत?
या फिर, पार्टी में विचारधारा की खींचतान का एक और संकेत?
मोदी जी, मुहाजिर भी हैं आपके बंटवारे के वारिस! – अल्ताफ हुसैन
