तेजस्वी यादव के 2 वोटर कार्ड से गरमाई बिहार की राजनीति

अजमल शाह
अजमल शाह

बिहार की राजनीति में उस वक्त हलचल मच गई जब तेजस्वी यादव पर 2 अलग-अलग वोटर ID (EPIC नंबर) रखने का आरोप लगा। अब ये मुद्दा सिर्फ चुनाव आयोग का नहीं, बल्कि चाय की दुकानों से लेकर ट्विटर ट्रेंड्स तक का बन चुका है।

EPIC नंबर विवाद: “कौन सा असली, कौन सा फर्जी?”

तेजस्वी यादव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में EPIC नंबर RAB2916120 दिखाया, जिसे चुनाव आयोग के डाटाबेस में कोई नहीं जानता — जैसे WhatsApp ग्रुप में Unknown Number
वहीं, चुनाव आयोग ने EPIC नंबर RAB0456228 दिखाया, जो उनके पास वर्षों से रजिस्टर्ड है।

अब सवाल उठ रहा है — “क्या तेजस्वी यादव वोट डालने जाते हैं या Voter ID Collecting Game खेलते हैं?”

नोटिस पे नोटिस, और जवाब पे जवाब

चुनाव आयोग ने तेजस्वी यादव को 8 अगस्त 2025 तक वोटर ID की कॉपी और स्पष्टीकरण देने को कहा है। उधर, तेजस्वी का कहना है:

“हम एक ही जगह वोट डालते आए हैं, गलती चुनाव आयोग की है। और जवाब हमसे मांगा जा रहा है?

सियासी तकरार: RJD Vs EC Vs BJP Vs Calculator

इस विवाद के बीच, BJP और JDU मौके का फायदा उठाकर तेजस्वी पर हमलावर हैं। वहीं पप्पू यादव मैदान में उतरते हुए चुनाव आयोग को BJP प्रवक्ता बता चुके हैं।

क्या 2 EPIC नंबर रखना अपराध है?

बिलकुल! भारत के कानून के तहत एक व्यक्ति के पास केवल एक वैध EPIC नंबर हो सकता है। अगर दूसरा EPIC नंबर फर्जी साबित होता है, तो:

  • IPC की धाराएं लग सकती हैं

  • तेजस्वी के खिलाफ FIR दर्ज हो सकती है

  • चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध भी संभव है

यानी सियासत के खेल में दूसरा ID काम नहीं आता, वरना बाकी नेता भी LinkedIn पे नया प्रोफ़ाइल बनाकर वोट डालने लगेंगे!

वोटर लिस्ट में गलती या राजनीति?

तेजस्वी कह रहे हैं कि ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में नाम नहीं है, जबकि चुनाव आयोग ने नाम भी दिखा दिया और कार्ड नंबर भी। अब ये डेटा मिस्टेक है या पॉलिटिकल मिक्सटेप — ये आने वाले दिनों में पता चलेगा।

बिगड़ता जा रहा है सीन

बिहार चुनाव नजदीक हैं और RJD को उम्मीद थी कि तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री की रेस में सबसे आगे होंगे। लेकिन इस डबल EPIC बम ने चुनावी माहौल को political thriller बना दिया है।

अब देखना ये है कि तेजस्वी यादव इस विवाद से बाहर निकलते हैं या फिर 2025 में Ballot Box की जगह Explanation Box में उलझ जाते हैं।

इस EPIC विवाद ने साबित कर दिया है कि वोटर ID भी पॉलिटिक्स में एक हथियार बन सकता है — खासकर जब चुनाव नज़दीक हों और विपक्ष हर कदम पर तैयार हो।
अब देखना है कि ये कहानी क्लीन चिट तक जाती है या कोर्ट कचहरी तक।

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