
देश की रक्षा ताकत को स्वदेशी पंख मिलने जा रहे हैं। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के नासिक प्लांट में अब पूरी तरह से भारत में डिजाइन किया गया तेजस LCA Mk1A लड़ाकू विमान बनेगा। यह वही प्लांट है जहां अब तक 1,000 से ज्यादा रूसी मूल के मिग-21 और सुखोई-30MKI जैसे फाइटर जेट्स का निर्माण हो चुका है।
HAL नासिक प्लांट में बदल दी गई असेंबली लाइन
रिपोर्ट के अनुसार, नासिक के इस प्लांट में पहले 575 मिग-21 जेट तैयार किए गए थे। अब इस असेंबली लाइन को पूरी तरह से अपग्रेड किया गया है। इसके लिए करीब ₹500 करोड़ का निवेश हुआ है, जिससे अत्याधुनिक मैन्युफैक्चरिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हो रहा है।
यहां अब सिर्फ रूसी नहीं, बल्कि पूरी तरह स्वदेशी डिजाइन पर आधारित तेजस और HTT-40 बेसिक ट्रेनर एयरक्राफ्ट तैयार किए जाएंगे।
तेजस Mk1A की पहली सार्वजनिक उड़ान भी यहीं से
तेजस LCA Mk1A की पहली सार्वजनिक उड़ान नासिक से हुई, जिससे ये स्पष्ट संकेत मिल गया कि भारत अब विदेशी डिफेंस कंपनियों पर अपनी निर्भरता से धीरे-धीरे बाहर निकल रहा है। 60 सालों की डिपेंडेंसी अब खत्म होने की दिशा में है।
अब सालाना बनेगा 24 तेजस फाइटर जेट
HAL के पास पहले से बेंगलुरु में दो तेजस प्रोडक्शन लाइन थीं। अब नासिक के जुड़ने से कंपनी की कुल वार्षिक उत्पादन क्षमता 24 तेजस फाइटर जेट्स तक पहुंच चुकी है।
शुरुआती दौर में नासिक में सालाना 8 जेट तैयार होंगे, जिसे जरूरत अनुसार और बढ़ाया जा सकता है।

हालांकि, वायुसेना की डिमांड 30-40 फाइटर जेट्स प्रति वर्ष की है। ऐसे में तेजस का उत्पादन बढ़ाने की जरूरत आने वाले समय में और भी बढ़ेगी।
सुखोई का काम भी जारी रहेगा
हालांकि नासिक प्लांट अब तेजस और ट्रेनर विमानों के लिए मुख्य रूप से उपयोग होगा, फिर भी इसका एक हिस्सा अब भी Su-30MKI के निर्माण के लिए आरक्षित है।
वर्तमान में HAL के पास Su-30MKI के 15 यूनिट के ऑर्डर हैं, जिनका काम यहां जारी रहेगा।
आत्मनिर्भर भारत की उड़ान
तेजस की प्रोडक्शन का विस्तार न केवल वायुसेना की ताकत बढ़ाएगा, बल्कि Make in India और आत्मनिर्भर भारत मिशन को भी मजबूती देगा।
इसका असर रक्षा निर्यात में भी देखा जाएगा, क्योंकि तेजस को कई देशों से दिलचस्पी मिल रही है।
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