
बिहार की राजनीति फिर से अपने असली मजे पर लौट आई है। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने अपने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को पार्टी और परिवार दोनों से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। लेकिन तेज प्रताप भी कहां हार मानने वाले?
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उन्होंने सोशल मीडिया पर अपने छोटे भाई तेजस्वी यादव को कृष्ण और खुद को अर्जुन बता डाला। बोले, “मेरे अर्जुन से मुझे अलग करने का सपना देखने वालों, तुम कभी अपनी साजिशों में सफल नहीं हो सकोगे। कृष्ण की सेना तो तुम ले सकते हो लेकिन खुद कृष्ण को नहीं।”
यानी बिहार की राजनीति में एकदम महाभारत स्टाइल का नया सीजन चालू हो गया है।
तेज प्रताप का तेजस्वी को इमोशनल सपोर्ट
तेज प्रताप ने तेजस्वी के लिए प्यारभरा संदेश भी लिखा, “भाई, भरोसा रखना, मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ। फिलहाल दूर हूँ, लेकिन मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ रहेगा। मम्मी-पापा का ख्याल रखना, जयचंद हर जगह हैं, अंदर भी और बाहर भी।”
वाह, क्या भाईचारा है! लेकिन क्या तेजस्वी इस अर्जुन-कृष्ण ड्रामे में तेज प्रताप की ‘कृष्णगिरी’ को स्वीकार करेंगे?
12 साल पुराना अफेयर और फेसबुक पोस्ट कांड
वैसे तेज प्रताप का ये गुस्सा सिर्फ राजनीति तक सीमित नहीं है। पिछले हफ्ते उनके फेसबुक अकाउंट से एक पोस्ट डाला गया जिसमें उन्होंने 12 साल पुराने अफेयर की बात स्वीकार की। बाद में सफाई देते हुए लिखा- “अकाउंट हैक हो गया था!” लेकिन तब तक बवाल मच चुका था। लालू ने तुरंत छह साल के लिए पार्टी से बाहर कर दिया।
फरमान और परिवार से नाता तोड़ना
लालू ने सोशल मीडिया पर दो टूक शब्दों में लिखा, “अब पार्टी और परिवार में तेज प्रताप की कोई भूमिका नहीं होगी।” मतलब साफ है- घर की लड़ाई अब खुलकर बाहर आ गई है।
राजनीति में नया ट्विस्ट और तंज
बिहार की राजनीति में ये पूरा किस्सा महज पारिवारिक ड्रामा नहीं बल्कि एक सोशल मीडिया शो बन चुका है। तेज प्रताप की कृष्ण-अर्जुन थ्योरी और जयचंद वाला तंज तो इतना दिलचस्प है कि बिहार की जनता भी सोच रही है- “कृष्ण की सेना से ज्यादा मजेदार खुद कृष्ण और अर्जुन का ड्रामा है!”