“दोहा डायलॉग्स: तालिबान-पाकिस्तान, सीमा से सीधा सम्मेलन कक्ष में!”

हुसैन अफसर
हुसैन अफसर

सीमा पर गोलीबारी और अंदर मीटिंग की तैयारी — ये है तालिबान और पाकिस्तान के रिश्तों का नया अध्याय।
ताज़ा घटनाक्रम में, दोनों पक्ष दोहा (क़तर) में शुक्रवार को आमने-सामने बैठेंगे — बात करने, लड़ने के लिए नहीं।

तालिबान के रक्षा मंत्री मौलवी मोहम्मद याकूब मुजाहिद के नेतृत्व में अफ़ग़ानिस्तान का प्रतिनिधिमंडल दोहा पहुंचेगा, जहां पाकिस्तानी खुफिया और सुरक्षा अधिकारियों के साथ गंभीर मुद्दों पर “सुलह की चाय” पी जाएगी।

स्पिन बोल्डक: जहां गोलियों ने संवाद को पछाड़ दिया

ये बातचीत यूं ही नहीं हो रही।
कंधार प्रांत के स्पिन बोल्डक ज़िले में बीते कुछ दिनों में तालिबान बलों और पाकिस्तानी सेना के बीच तगड़ी झड़पें हुई हैं। गोलियां चलीं, लोग मरे कई घायल हुए और सबसे ज़्यादा घायल हुआ सीमावर्ती विश्वास अब शायद बंदूकें चुप हैं और माइक चालू होने वाला है।

क़तर बना “शांति का दोस्त”, पाकिस्तान थोड़ा चुप

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने खुद कैबिनेट को बताया कि क़तर ने ये मध्यस्थता की पेशकश की है। हालांकि पाकिस्तान ने अब तक इस मसले पर कोई आधिकारिक प्रेस रिलीज़ नहीं जारी की। यानी अभी भी “Officially Unofficial” ज़ोन में हैं।

लेकिन मुद्दा क्या है? सिर्फ़ सीमा?

नहीं साहब, मामला सिर्फ़ सीमा विवाद नहीं है, ये है, दो पड़ोसी राष्ट्रों के कट्टर इतिहास का ताज़ा एपिसोड। कूटनीति vs कट्टरपंथ- “भाई-भाई” वाली स्क्रिप्ट में “जंग-जंग” के सीन

तालिबान सरकार मानती है कि पाकिस्तान ड्यूरंड लाइन को ज़बरदस्ती थोपता है, जबकि पाकिस्तान को लगता है कि तालिबान TTP (Tehrik-e-Taliban Pakistan) को लेकर दोहरी नीति अपना रहा है। अब इस बीच क़तर ने मौका देखकर ‘International Peacekeeper’ का कार्ड खेल दिया है।

कबूतर उड़ाएं या ड्रोन, फैसला दोहा में होगा!

दोहा की यह बैठक एक और प्रयास है उस रिश्ते को सुधारने का, जो अंधेरे में दोस्त और उजाले में विरोधी जैसा है। क्या इस बार चाय के कप के साथ समझदारी भी बहेगी? या फिर अगली मुलाक़ात फिर सीमा पर होगी, लेकिन बॉर्डर पर नहीं, ट्विटर ट्रेंड में?

ख़्वाजा आसिफ़ बोले – “War-विराम? ज्यादा दिन नहीं टिकेगा!”

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