1960 में आई “लव इन शिमला”, कोई साधारण फिल्म नहीं थी—यह वो मोड़ था जहाँ साधना की आंखें, जॉय की स्माइल, और शिमला की वादियां मिलकर रोमांस का तूफान ले आईं। निर्देशक आरके नैयर और निर्माता शशाधर मुखर्जी ने फिल्मालय के बैनर तले एक ऐसी रचना की जो उस दौर की लड़कियों को चूड़ी पहनने और लड़कों को टाई बाँधने पर मजबूर कर गई। साधना का डेब्यू: चश्मे के पीछे का चमत्कार फिल्म में साधना ने ‘सोनिया’ का किरदार निभाया—एक लड़की जिसे उसकी सौतेली माँ और चचेरी बहन ताने मार-मारकर…
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