मुझे ये अच्छे से याद है कि एक समय था जब भारतीय राजनीति में संवाद की एक गरिमा हुआ करती थी। न्यूज़ चैनल की डिबेट में चाहे जितनी भी तीखी बहस हो, भाषा की मर्यादा और विचारों की शालीनता बनी रहती थी। कांग्रेस ने जहाँ देश में पहली बार आनंद शर्मा को प्रवक्ता बनाया वहीँ बीजेपी ने सुषमा स्वराज और प्रमोद महाजन को जबकि सीताराम येचुरी को सीपीआई ने प्रवक्ता बना पार्टी का पक्ष रखने की जिम्मेदारी सौंपी ये नेता न सिर्फ अपने विचारों की स्पष्टता के लिए जाने…
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