जिलाध्यक्ष नहीं, परिवार का मोहरा चाहिए भाजपा नेताओं को?

गोरखपुर क्षेत्र में भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए आजकल सबसे बड़ा सवाल यही है। पंचायत चुनाव की आहट है, लेकिन दो जिलों—सिद्धार्थनगर और देवरिया—में अब तक जिलाध्यक्ष की घोषणा नहीं हुई। नतीजा? असमंजस, भ्रम, और संगठन में सुस्त पड़ती गति। घोषणा में देरी की असली वजह: अंदरूनी खींचतान जब बाकी जिलों में नियुक्तियाँ हो चुकी हैं, तो इन दो जिलों में रुकावट क्यों?उत्तर है – अंदरूनी गुटबाजी और परिवारवाद।सिद्धार्थनगर में एक कद्दावर नेता अपने पुत्र को आगामी चुनाव में उतारने की तैयारी में हैं और चाहते हैं कि जिलाध्यक्ष उनकी जेब…

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