ईद मिलादुन्नबी यानी वो दिन जब पूरी दुनिया में रहमतों के ताजदार, सरवरे कायनात हज़रत मोहम्मद ﷺ की पैदाइश का जश्न मनाया जाता है।सड़कें सजती हैं, दिल रोशन होते हैं, और WhatsApp स्टेटस की रीलों में नबी ﷺ की शान में कसीदे पढ़े जाते हैं। “Light lagao, लेकिन Mind भी On रखो!” – A Friendly Reminder जश्न मनाना कोई गुनाह नहीं, लेकिन नबी ﷺ की असली सीरत सिर्फ ग्रीन लाइटिंग और बैनर से नहीं आती। अगर आप loudspeaker से नाते पढ़ रहे हैं लेकिन पड़ोस के बुज़ुर्ग चैन से नहीं…
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हुसैन जिए ज़ुल्म के ख़िलाफ़… और अमन के लिए शहीद हुए
इस्लामिक कैलेंडर की शुरुआत मोहर्रम से होती है, लेकिन ये कोई जश्न नहीं – एक ऐसा महीना है जो पूरी दुनिया को इंसाफ़, कुर्बानी और ज़ुल्म के ख़िलाफ़ खड़े होने का पाठ पढ़ाता है। आज से करीब 1400 साल पहले कर्बला की तपती रेत पर वो जंग लड़ी गई थी जिसमें सिर्फ़ हथियार नहीं, आदर्श, उसूल और इंसानियत टकरा रहे थे। पैग़ंबर मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन, जिनका गुनाह सिर्फ इतना था कि उन्होंने अन्याय के सामने सिर झुकाने से इनकार कर दिया – उन्हें और उनके 71 साथियों…
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