झोब में जब यात्रियों को बस से उतारकर मार दिया गया, तब मानवता ने शर्म से अपना मुंह छिपा लिया। मगर पाकिस्तान के हुक्मरानों ने शायद फिर वही स्क्रिप्ट निकाली होगी – “ये आतंकवादी नहीं, आज़ादी के लड़ाके हैं…” लेकिन ठहरिए, यह कश्मीर नहीं है। यहाँ शिकार बने हैं वो आम पाकिस्तानी जिनका बलूचिस्तान से कोई लेना-देना भी नहीं था। पाकिस्तान की दोहरी नीति: बलूच = आतंकवादी, कश्मीरी आतंकी = नायक? जब भारत अपने नागरिकों की रक्षा करता है, तो पाकिस्तान तुरन्त यूएन, ओआईसी और ट्विटर पर एक्टिव हो जाता…
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