भारत की राजनीति में अक्सर यह कहा जाता है कि “देश के नेता भुट्टे की फसल जैसे होते हैं।” यह बयान जितना मजेदार लगता है, उतना ही गहरा अर्थ भी रखता है। भुट्टे के चमकदार दाने जैसे दिखने वाले नेता, जब जनता से वोट मांगते हैं, तो लोग उनकी चमक-दमक और वायदों के पीछे का सच देख नहीं पाते। लेकिन जैसे ही चुनावी दौर खत्म होता है और सरकारें बनती हैं, जनता को अंदर की खालीपन का एहसास होता है। राजनीति में क्या है भुट्टे जैसा फर्क? भुट्टे के दाने…
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