“एक वक़्त था जब शराब के जाम में मोहब्बत डूबती थी… और इज्ज़त को बचाने के लिए तवायफ़ी चालें अपनाई जाती थीं।” ‘साहिब बीबी और ग़ुलाम’ सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि भारतीय सिनेमा का तहज़ीबी वसीयतनामा है। अबरार अलवी के निर्देशन में, गुरु दत्त की छाया, मीना कुमारी की पीड़ा और बंगाल की लुप्त होती ज़मींदारी संस्कृति का ऐसा सम्मिलन हुआ, जो आज भी एक अद्वितीय मिसाल है। यह फ़िल्म किसी आलीशान हवेली में बज रहे तबले की आवाज़ नहीं, बल्कि उसके खंडहरों में गूंजती तन्हाई की चीख है। मीना…
Read More