बारिश जब आती है ना, तो सिर्फ़ छत नहीं टपकती — यादें भी टपकती हैं।वो बचपन की कागज़ की नावें, वो मम्मी की डांट के बावजूद भीगना, दोस्तों के साथ बाइक की सवारी, चाय और समोसे की दुकान पर हँसी का तूफ़ान — सब कुछ एक-एक बूँद में वापस आने लगता है। आज जब हम बालकनी में खड़े होकर बारिश को बस देखते हैं — तो दिल अंदर ही अंदर उस वक्त को महसूस करता है, जब बारिश मतलब होता था आज़ादी, मस्ती और दोस्ती की सबसे सच्ची परिभाषा।ना इंस्टाग्राम…
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