
चिलचिलाती गर्मी, जलता हुआ पारा और शरीर से टपकता पसीना – ऐसे में अगर आपकी पहली सोच ‘एक पैग हो जाए’ है, तो आप गर्मी से नहीं, खुद से हार रहे हैं।
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बड़े अदब से निवेदन है, सुरा प्रेमी जन, “गर्मी में सुरा सेवन, सीधा ICU दर्शन!”
गर्मी + शराब = शरीर की बर्बादी की परिभाषा
“शराब आपको अंदर से ठंडा नहीं करती, उल्टा दिमाग से उबाल निकालती है।”
गर्मियों में शराब शरीर को डिहाइड्रेट करती है। वैसे भी 45 डिग्री तापमान में शरीर पहले से ही शुद्ध भूना हुआ पापड़ बना होता है, उस पर सुरा डालना मतलब तंदूर में घी डालना।
चखने की कीमत अब जान से चुकानी पड़ेगी!
“सड़ा हुआ पनीर, मसालेदार अंडे और मिर्ची में डूबा चखना – गर्मियों में सीधा पेट को कॉल करता है: ‘चल भाई, अस्पताल चलते हैं!'”
सुरा का साथ देने वाले ये चखने का दल, गर्मियों में ऐसे एक्टिव हो जाते हैं जैसे शादी में फूफा जी। लेकिन ये फूफा जी आपको फूड पॉइज़निंग, उल्टी-दस्त और अंत में डॉक्टर की गोद में ले जाकर ही मानते हैं।
शराब पीने से सोच पर असर – गर्मी में तो और भी बुरा!
शराब गर्मी में ब्रेन से पानी की कमी को और बढ़ा देती है। मतलब?
“जहाँ दिमाग ठंडा होना चाहिए, वहां बुखार चढ़ा रहता है – और फिर बौखलाए बयान, बेमतलब की हरकतें और दोस्ती के रिश्ते तबाह!”
पानी पीजिए, पर प्यार से
इस गर्मी का सही उपाय है –
ना ठंडी बीयर, ना ऑन द रॉक्स रम,
बस एक जग पानी, और सीधा पंखे के नीचे दम।
अगर कुछ पीने का मन हो ही रहा है, तो
नींबू पानी, बेल का शरबत, छाछ या आम पना – यही हैं गर्मी के सच्चे ‘लिक्विड हीरोज़’।
ज्ञान की बात सुन लो वरना…
“गर्मी में शराब वो है जैसे आग में घी। और आप घी नहीं, घी की डिब्बी हो, जो खुद जल जाएगी।”
तो प्यारे सुरा-प्रेमी, थोड़ा खुद पर रहम करो, चखना छोड़ो, चकना मत बनो, और इस बार की गर्मी में प्यास को पानी से बुझाओ, सुरा से नहीं।
जान है तो जहान है, और ठंडा पानी जान का भगवान है!
गर्मी के मौसम में शराब पीकर बहादुरी नहीं, बेवकूफी की जाती है। थोड़ा हास्य, थोड़ा तंज और थोड़ा ज्ञान – सब मिलाकर हम यही कहेंगे:
“गर्मी में सुरा से दूरी बनाएं, नहीं तो अस्पताल के बेड पर DJ बजाएं!”
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