
उत्तर प्रदेश विधानसभा और विधान परिषद—दोनों सदनों से पास होने के बाद श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट विधेयक, 2025 अब राज्यपाल की मंजूरी के साथ कानून बन चुका है।
इस कानून के लागू होते ही मंदिर प्रबंधन के लिए एक नया वैधानिक ढांचा (Statutory Framework) तैयार हो गया है, जिसका उद्देश्य साफ है—भक्तों को बेहतर व्यवस्था और पारदर्शी प्रशासन।
क्या बदलेगा, क्या नहीं बदलेगा?
UP सरकार ने यह साफ किया है कि स्वामी हरिदास परंपरा रीति-रिवाज, उत्सव, अनुष्ठान पूजा-पद्धति और धार्मिक कार्यक्रम सब पहले की तरह चलते रहेंगे।
कानून बदला है, भगवान नहीं।
18 सदस्यीय ट्रस्ट करेगा मंदिर का संचालन
मंदिर के सुचारू संचालन के लिए Shri Banke Bihari Ji Temple Trust का गठन किया जाएगा।
ट्रस्ट की संरचना
- कुल सदस्य: 18
- मनोनीत सदस्य: 11
- पदाधिकारी: 7
मनोनीत सदस्यों में शामिल होंगे
- वैष्णव परंपरा और संप्रदाय से 3 प्रतिनिधि
- साधु, संत, गुरु, आचार्य
- स्वामी हरिदास परंपरा से 2 गोस्वामी वंशज
प्रशासनिक पदाधिकारी भी होंगे शामिल
ट्रस्ट में ये अधिकारी पदेन सदस्य होंगे:
- जिलाधिकारी, मथुरा
- वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP)
- UP सरकार का नामित प्रतिनिधि
अगर कोई पदाधिकारी हिंदू धर्म में आस्था नहीं रखता, तो उसकी जगह Junior Officer को नामित किया जाएगा।
Faith matters, file work later.
कार्यकाल और बैठक व्यवस्था
- चुने गए सदस्यों का कार्यकाल: 3 साल
- ट्रस्ट की बैठक: हर 3 महीने में एक बार
- बैठक की सूचना: 15 दिन पहले अनिवार्य
मंदिर की संपत्ति अब “धरोहर” मानी जाएगी
इस कानून के तहत— मंदिर में चढ़ाया गया दान, नकद और चल-अचल संपत्ति, विग्रह, मंदिर परिसर, परिक्रमा क्षेत्र, देवी-देवताओं पर चढ़ावा, पूजा-पाठ और धार्मिक आयोजनों की राशि सब कुछ मंदिर की धरोहर (Temple Heritage) माना जाएगा।

अब चढ़ावे पर भी सिस्टम होगा—भगवान का प्रसाद, सरकार की निगरानी।
Devotion + Administration
यह कानून सिर्फ ट्रस्ट बनाने का नहीं, बल्कि Faith और Governance के Balance का प्रयास है। जहां आस्था अक्षुण्ण रहे— और व्यवस्था आधुनिक हो।
परंपरा वही, प्रबंधन नया
Shri Banke Bihari Ji Temple Trust Act, 2025 मंदिर की आत्मा को छुए बिना उसके सिस्टम को मजबूत करने की कोशिश है।
अब असली परीक्षा होगी—Implementation की।
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