“लॉटरी लगी थी भाऊ को!” – BJP मंत्री ने खोल दी गठबंधन की पोल

भोजराज नावानी
भोजराज नावानी

महाराष्ट्र की राजनीति में सियासी तमाशा कभी थमता नहीं। लेकिन इस बार तो BJP के अपने ही मंत्री गणेश नाइक ने ‘सियासी लॉटरी’ का टिकट फाड़कर माहौल गरमा दिया है। नाइक का कहना है कि एकनाथ शिंदे ने “लॉटरी जीत ली थी”, तभी तो मुख्यमंत्री बन गए थे।

बयान, दिल्ली तक हलचल

ठाणे में भूमि पूजन कार्यक्रम के दौरान नाइक ने जो कहा, वह हल्का-फुल्का मज़ाक तो कतई नहीं था। उन्होंने कहा:

“हर किसी की लॉटरी नहीं लगती… लेकिन शिंदे की लग गई। असली बात है कि कोई पद कैसे पाता है और उसे कैसे संभालता है।”

बस फिर क्या था — बयान वायरल, बयानवीर ट्रेंड में और महाराष्ट्र की सत्ता का ताज फिर हिलने को तैयार।

पुरानी बॉन्डिंग, नई तल्ख़ी

गणेश नाइक और शिंदे कभी एक ही जिले (ठाणे) में राजनीति की धुरी थे। नाइक तब मंत्री, शिंदे डीपीडीसी में सदस्य। लेकिन अब रिश्तों की मिठास खत्म, कटाक्ष तीखा।

पहले भी नाइक ने कहा था – “बाहरी लोग नवी मुंबई की मलाई खा रहे हैं।” तब भी ये हमला शिंदे पर माना गया। और अब सीधा लॉटरी की बात करके तो जैसे उन्होंने तीर सीधे दिल पर मारा है।

2022 की CM वाली ‘जैकपॉट जर्नी’

शिंदे की 2022 वाली बगावत को नाइक का ‘लॉटरी’ कह देना सिर्फ व्यंग्य नहीं, BJP के भीतर की नाराज़गी भी दिखाता है। सत्ता का ये खेल अब पहले जैसा नहीं रहा।

2022: शिंदे CM
2024: फडणवीस फिर से CM, शिंदे अब सिर्फ डिप्टी

यानि “लॉटरी खत्म, टिकट एक्सपायर!”

क्या फूट रहा है BJP-शिवसेना (शिंदे गुट) गठबंधन?

गणेश नाइक का बयान ऐसे समय आया है जब विधानसभा चुनाव 2025 की आहट सुनाई दे रही है। अंदरूनी खींचतान, सीटों को लेकर खटपट और अब ‘लॉटरी की राजनीति’ – मतलब गठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं।

शिवसेना की तरफ से अभी तक कोई जवाब नहीं आया, लेकिन जैसा उनका स्टाइल है, पलटवार जल्द आएगा और वो भी तेज़।

सियासी ‘KBC’ में कौन बनेगा मुख्यमंत्री?

अगर महाराष्ट्र की राजनीति को गेम शो मान लिया जाए, तो शिंदे ने “फोन अ फ्रेंड” के ऑप्शन से सरकार बदल दी और “लॉटरी” से कुर्सी जीत ली।

अब सवाल ये है कि – “क्या BJP में ही कुछ खिलाड़ी नए लॉटरी टिकट काटने में लगे हैं?”

गणेश नाइक का बयान सीधे तौर पर एकनाथ शिंदे की CM बनने की वैधता पर सवाल खड़ा करता है। BJP और शिवसेना (शिंदे गुट) का यह सियासी बंधन अब गठबंधन से अधिक ‘गठबंघन’ जैसा दिखने लगा है।

क्या यह सिर्फ व्यक्तिगत नाराज़गी है या कोई बड़ा सियासी मैसेज?
क्या यह BJP के भीतर नई सियासी लॉटरी की तैयारी है?

आपका क्या कहना है – शिंदे की लॉटरी वाकई लगी थी या किस्मत से भी ऊपर कुछ था?

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