
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। शिवालिक वन प्रभाग की मोहंड रेंज के सुंदरपुर गांव में एक हाथी की हाई टेंशन लाइन की चपेट में आने से दर्दनाक मौत हो गई। स्थानीय ग्रामीणों के मुताबिक, लाइन कई दिनों से नीचे झूल रही थी, लेकिन बिजली विभाग ने “टाइम नहीं है” वाला रवैया अपनाए रखा।
अब जब हादसा हो गया, तो अधिकारी मौके पर पहुंचे — और वही पुराना वाक्य दोहराया, “जांच के आदेश दे दिए गए हैं…”
घटना कैसे हुई?
सुबह के वक्त हाथी सुंदरपुर के पास जंगल से निकलकर खेतों की ओर आया। तभी अचानक ऊपर से गुजर रही 11,000 वोल्ट की हाई टेंशन लाइन उसके शरीर से टकरा गई। कुछ ही सेकंड में बिजली का तेज झटका लगा और हाथी मौके पर ही ढेर हो गया। आसपास मौजूद ग्रामीणों ने शोर मचाया, लेकिन तब तक सब खत्म हो चुका था।
डीएफओ पहुंचे मौके पर, बोले — जिम्मेदार नहीं बचेंगे
घटना की जानकारी मिलते ही डीएफओ (Divisional Forest Officer) मौके पर पहुंचे। उन्होंने वन विभाग की टीम के साथ जांच शुरू की और बिजली विभाग पर लापरवाही का ठीकरा फोड़ा।
डीएफओ ने कहा — “यह गंभीर लापरवाही है। जिनकी जिम्मेदारी थी, उन पर कार्रवाई होगी।”
पर जनता का सवाल वही पुराना है — “कार्रवाई होगी” कब? हादसे से पहले या बाद में?
विद्युत विभाग का ‘लो वोल्टेज’ जवाब
जब मीडिया ने बिजली विभाग से सवाल पूछा, तो जवाब मिला — “लाइन झूल रही थी, लेकिन मरम्मत का प्रस्ताव प्रक्रिया में था।”
यानि, जब तक फाइल मंजूर होती, हाथी मंजिल पार कर चुका था।

शोक और गुस्सा
हाथी की मौत की खबर वायरल हो गई। लोगों ने सवाल उठाए कि अगर वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए नियम हैं, तो फिर हर साल बिजली के तारों से कितने जानवर क्यों झुलसते हैं?
कई यूज़र्स ने लिखा — “हाथी इंसान का सबसे अच्छा दोस्त था, पर इंसान उसकी सबसे बड़ी गलती बन गया।”
‘करंट’ से नहीं, सिस्टम से मरा हाथी
यह हादसा सिर्फ बिजली विभाग की लापरवाही नहीं, बल्कि हमारे सिस्टम की सुस्त धड़कनों का प्रमाण है।
जब तक बिजली विभाग “पेपरवर्क” में उलझा रहेगा, और वन विभाग “रिपोर्ट तैयार” करता रहेगा — तब तक जंगल में हर करंट किसी न किसी ज़िंदगी को झुलसाता रहेगा।
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