
भोपाल से सांसद रह चुकीं साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का असली नाम है प्रज्ञा सिंह ठाकुर। कॉलेज के दिनों में वे ABVP की सक्रिय सदस्य रहीं और फिर RSS से जुड़ी। बाल हमेशा छोटे रखती हैं, और बयान हमेशा बड़े देती हैं। राजनीति में आने से पहले वे विभिन्न हिन्दू संगठनों से जुड़ी रहीं।
मालेगांव बम धमाका: बाइक थी प्रज्ञा की, ब्लास्ट किसने किया?
29 सितंबर 2008, मालेगांव — धमाका हुआ, 6 मौतें, 100 से ज़्यादा घायल। पुलिस को एक बाइक मिली — रजिस्ट्रेशन निकला साध्वी प्रज्ञा के नाम का।
बस फिर क्या था?
साध्वी प्रज्ञा को आतंकवाद के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। हालांकि, उन्होंने शुरू से ही किसी भी तरह के शामिल होने से इनकार किया। सालों चले मुकदमे के बाद अब 2025 में फैसला आया — “सबूत नहीं मिले, सभी 7 आरोपी बरी!”
कोर्ट ने एक तगड़ी टिप्पणी भी की — “आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, झूठा नैरेटिव बनाया गया।”
सुनील जोशी मर्डर केस: हत्या में नाम, लेकिन फिर भी बरी
RSS प्रचारक सुनील जोशी की 2007 में हत्या हुई थी। साध्वी प्रज्ञा पर इस हत्या में शामिल होने का आरोप भी लगा। लेकिन 2017 में कोर्ट ने सभी को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया।
(जैसे Netflix की डॉक्यूमेंट्री हो — “Accused but Not Proven!”)
कैंसर, गोमूत्र और विवादित बयान
2008 में प्रज्ञा ठाकुर को स्तन कैंसर हुआ। उन्होंने लखनऊ के RML अस्पताल में इलाज करवाया, दो बार ऑपरेशन भी कराया।
बाद में उन्होंने गोमूत्र और पंचगव्य से कैंसर ठीक होने का दावा कर दिया। डॉक्टर एसएस राजपूत ने साफ शब्दों में इन दावों की आलोचना कर दी।
(Public Reaction: “अस्पताल जाएं या गौशाला?”)
बरी होने के बाद क्या कहती हैं साध्वी प्रज्ञा?
हालिया फैसले के बाद उन्होंने कहा,
“सच्चाई की जीत हुई है।”
(हालांकि कोर्ट ने सिर्फ सबूत न होने की बात कही, बेकसूर साबित नहीं किया।)
अब सवाल उठता है — क्या इस फैसले से ‘हिंदू आतंकवाद’ का नैरेटिव खत्म हो गया? या फिर नया पन्ना खुलने वाला है?
साध्वी प्रज्ञा का सफर रहा एकदम धारावाहिक जैसा — राजनीति, बीमारी, जेल, हत्या का आरोप, फिर बरी और अब सोशल मीडिया स्टारडम!
मालेगांव केस की बरी से मिली राहत, लेकिन राजनीति में तूफान अभी बाकी है।