
16 जुलाई के बाद 17 जुलाई को भी अमरनाथ यात्रा रोकी गई। कश्मीर के दोनों प्रमुख बेस कैंप — पहलगाम और बालटाल से यात्रा को अस्थायी रूप से स्थगित करने का निर्णय लिया गया है। प्रशासन के मुताबिक लगातार बारिश के चलते रास्तों की हालत नाज़ुक हो चुकी है, जिन्हें मरम्मत की ज़रूरत है।
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सुरक्षा पहले: पहलगाम और बालटाल से कोई आगे नहीं बढ़ेगा
DIPR कश्मीर के अनुसार, “आज किसी भी श्रद्धालु को पवित्र गुफा की ओर नहीं जाने दिया जाएगा।”
यह निर्णय यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है, क्योंकि पटरियों पर फिसलन और भूस्खलन की स्थिति बनी हुई है।
पंचतरणी से बालटाल की ओर सुरक्षित निकासी शुरू
जो श्रद्धालु पंचतरणी शिविर में रुके हुए हैं, उन्हें सीमा सड़क संगठन (BRO) और माउंटेन रेस्क्यू टीम के साथ बालटाल की ओर सुरक्षित निकाला जा रहा है। इन यात्रियों को विशेष निगरानी और सहायता के साथ सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया जा रहा है।
कब फिर शुरू होगी यात्रा? 18 जुलाई की उम्मीदें ज़िंदा
कश्मीर के संभागीय आयुक्त विजय कुमार बिधूड़ी ने बताया, “आज की यात्रा मौसम की वजह से रोकी गई है, लेकिन 18 जुलाई से फिर से यात्रा शुरू होने की पूरी संभावना है।”
मौसम विभाग ने 21 जुलाई तक बारिश का अलर्ट जारी किया है, ऐसे में रोज़ाना अपडेट पर नजर रखना ज़रूरी हो गया है।
अब तक 2.47 लाख श्रद्धालु कर चुके हैं बाबा के दर्शन
ANI रिपोर्ट के अनुसार, 2025 की अमरनाथ यात्रा में अब तक 2.47 लाख से अधिक श्रद्धालु पवित्र गुफा के दर्शन कर चुके हैं। यह संख्या खराब मौसम के बावजूद श्रद्धालुओं की आस्था की गहराई को दर्शाती है।
“बाबा तो बर्फानी हैं, लेकिन बादल गर्मजोशी में बहे जा रहे हैं!”
पहलगाम वालों का कहना है कि जितना सफर बाबा के दर्शन के लिए तय किया था, उतना तो मौसम की मनमानी समझने में लग गया। लगता है बादलों ने बाबा से एक्सक्लूसिव दर्शन स्लॉट बुक कर लिए हैं — आम भक्तों को इंतज़ार करना होगा।
यात्रा पर निकलने वालों के लिए सलाह:
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रोज़ाना अपडेट चेक करें (DIPR कश्मीर)
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बेस कैंप पर ही रुकें, आगे न बढ़ें जब तक अनुमति न मिले
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बारिश से बचाव के पूरे इंतजाम रखें
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अपने ट्रैवल एजेंट और लोकल गाइड से अपडेट लेते रहें
श्रद्धा बड़ी है, लेकिन सुरक्षा सबसे बड़ी
बाबा बर्फानी का दर्शन मिलना सौभाग्य है, लेकिन जान है तो जहान है। अमरनाथ यात्रा जैसे कठिन धार्मिक सफर में प्राकृतिक आपदाओं के प्रति सजगता जरूरी है।
प्रशासन की जिम्मेदारी के साथ श्रद्धालुओं की समझदारी ही इस यात्रा को सफल बना सकती है।