हिंदी में कुरआन? – आम मुसलमानों की समझ में आए अल्लाह का पैग़ाम!

जीशान हैदर
जीशान हैदर

देश के में श्रीमद्भगवद्गीता, बाइबल आदि के हिंदी संस्करण उपलब्ध हैं, वैसे ही कुरआन का प्रमाणिक हिंदी अनुवाद भी सामने लाया जाए, जिससे धार्मिक शिक्षा का लोकतंत्रीकरण हो। यह कोई मजहबी मुद्दा नहीं, बल्कि समझ का सवाल है।

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हिंदी में कुरआन? – आम मुसलमानों की समझ में आए अल्लाह का पैग़ाम!

भारत में करोड़ों मुसलमान रहते हैं जो धार्मिक रूप से कुरआन शरीफ को मानते हैं और उसका पाठ करते हैं। लेकिन एक अहम सवाल उठता है — क्या हर मुस्लिम, जो कुरआन पढ़ता है, वास्तव में उसकी गहराई और संदर्भ को समझ पाता है?

कुरआन अरबी में है — यह उसकी प्रामाणिकता और ऐतिहासिकता की रीढ़ है। लेकिन भारत जैसे बहुभाषी देश में, जहाँ अधिकांश मुस्लिम हिंदी, उर्दू या क्षेत्रीय भाषाओं में सहज हैं, वहां कुरआन के मर्म तक पहुँचना हर किसी के लिए आसान नहीं होता।

समस्या क्या है?

भाषाई बाधा:
ज़्यादातर आम मुसलमान अरबी भाषा के जानकार नहीं हैं। वे कुरआन तो पढ़ते हैं, मगर उसका आशय समझ नहीं पाते।

मौलवियों पर निर्भरता:

अर्थ न समझ पाने के कारण उन्हें व्याख्या के लिए इमामों या मौलवियों पर निर्भर रहना पड़ता है। इससे व्यक्तिगत विवेक सीमित हो जाता है।

भ्रम और अफवाहें:
भाषा न समझने की वजह से कभी-कभी कुरआन को लेकर अफवाहें और भ्रांतियाँ समाज में फैलती हैं, जो धार्मिक टकराव को जन्म देती हैं।

कुरआन का हिंदी अनुवाद

अगर कुरआन का एक सरकारी प्रमाणित हिंदी अनुवाद व्यापक स्तर पर उपलब्ध हो, तो:

हर मुसलमान अल्लाह के पैग़ाम को सीधे समझ सकेगा।

भ्रांतियाँ दूर होंगी और संवाद बेहतर होगा।

किसी तीसरे के चश्मे से नहीं, व्यक्ति खुद कुरआन को महसूस कर पाएगा।

क्या कहता है संविधान?

भारत का संविधान धार्मिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है। कुरआन का हिंदी अनुवाद कोई धर्म-विरोध नहीं, बल्कि धर्म की सार्वभौमिक समझ का समर्थन है।

भाषा सिर्फ संवाद का माध्यम नहीं, सत्य तक पहुँचने की सीढ़ी है। कुरआन को हिंदी में पढ़ने का मतलब है — अल्लाह के उस संदेश को अपने दिल तक पहुँचाना जिसे वह सभी मानवता के लिए भेजा गया।

कुरआन का हिंदी अनुवाद न केवल मुसलमानों को सक्षम बनाएगा, बल्कि आपसी समझ और सौहार्द की नई मिसाल कायम करेगा।

धर्म एक पुल हो, दीवार नहीं। और भाषा उस पुल को मजबूत कर सकती है।

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