
देश की सुरक्षा से जुड़े मुद्दे जब राजनीति की ज़मीन पर उतरते हैं, तो शब्द मिसाइल बन जाते हैं। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण का ‘Operation Sindoor’ पर दिया गया बयान कुछ ऐसा ही साबित हुआ है।
भारतीय वायुसेना की operational capability पर सवाल उठाते हुए चव्हाण ने दावा किया कि ऑपरेशन के पहले ही दिन भारत को करारी हार झेलनी पड़ी।
और यहीं से शुरू हो गया—Political Turbulence Mode ON।
पृथ्वीराज चव्हाण ने क्या कहा?
पृथ्वीराज चव्हाण के अनुसार, 7 तारीख को आधे घंटे चले aerial conflict में भारतीय विमान गिर गए। हालात इतने गंभीर थे कि IAF को ऑपरेशन रोकना पड़ा। ग्वालियर, भटिंडा, सिरसा—कहीं से भी विमान उड़ाने की स्थिति नहीं थी। सभी aircraft को grounded कर दिया गया।
जब युद्ध का विश्लेषण WhatsApp war-room से किया जाए, तो turbulence तय है।
सत्ताधारी दल का पलटवार: “सेना का अपमान”
बयान आते ही सत्ताधारी खेमे में political afterburner ऑन हो गया। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे ने तीखा हमला करते हुए कहा— “भारतीय सेना का अपमान करने वालों की जनता खुद कब्र खोदेगी। जो लोग मोदी जी की कब्र खोदने की बात करते हैं, उनकी कब्र जनता खोदेगी।”
यह बयान साफ संकेत देता है कि मामला अब राजनीतिक आलोचना से आगे जाकर राष्ट्रवाद के फ्रेम में चला गया है।
नितेश राणे का वार: “पाकिस्तान की भाषा”
कैबिनेट मंत्री नितेश राणे ने कांग्रेस पर सीधा और तीखा हमला बोला।
उन्होंने कहा— “कांग्रेस नेताओं से ऐसी भाषा की उम्मीद करना कोई नई बात नहीं। ये लोग पाकिस्तान की भाषा बोलते हैं।”
जब argument खत्म होते हैं, तब geography बदल दी जाती है।

राजनीति बनाम राष्ट्रीय सुरक्षा
इस पूरे विवाद ने एक बार फिर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है— क्या सैन्य अभियानों पर सार्वजनिक मंच से टिप्पणी राजनीतिक आज़ादी है, या राष्ट्रीय सुरक्षा का जोखिम?
एक तरफ कांग्रेस नेता अपने बयान पर कायम हैं, तो दूसरी ओर सत्ताधारी दल इसे देशद्रोह और सेना के अपमान से जोड़ रहा है।
Bigger Picture: बयान, भावनाएं और वोट बैंक
भारत में सेना सिर्फ एक force नहीं, बल्कि भावनात्मक संस्था है। ऐसे में सैन्य अभियानों पर कोई भी टिप्पणी— Political mileage भी देती है और backlash भी उतना ही तेज़ होता है। Operation Sindoor पर विवाद बताता है कि 2024 के बाद भी राष्ट्रवाद भारतीय राजनीति का सबसे संवेदनशील ट्रिगर बना हुआ है।
यह मामला सिर्फ पृथ्वीराज चव्हाण के बयान का नहीं है, बल्कि उस thin line का है जहां Political Commentary खत्म होती है
और National Sensitivity शुरू होती है।
अब देखना यह है कि यह विवाद सिर्फ बयानबाज़ी तक सीमित रहता है या कांग्रेस बनाम NDA की बड़ी राजनीतिक लड़ाई का नया हथियार बनता है।
Ahmed Al Ahmad: वो मुसलमान जिसने बताया हर मुस्लिम आतंकी नहीं होता
