
जैसे-जैसे बिहार में विधानसभा चुनाव का ताप बढ़ रहा है, वैसे-वैसे नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार की राजनीति में एंट्री को लेकर भी चर्चा गर्म हो गई है। इस बार सियासी हवा कुछ अलग बह रही है—जहां ‘बाबू साहब’ अब ‘बाबा साहब’ बनाने की तैयारी में लगते हैं।
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“सीट तैयार है, बस बेटा उतर जाए मैदान में”
नालंदा से जदयू सांसद कौशलेंद्र कुमार ने गुरुवार को मीडिया से बातचीत में निशांत कुमार को चुनाव लड़ाने की जोरदार वकालत की। बोले –
“वे पढ़े-लिखे, संस्कारी, और सक्षम हैं। ऐसी प्रतिभा को राजनीति में लाना चाहिए। अगर वो इस बार चुनाव लड़ें तो बहुत ख़ुशी होगी।”
अब सांसद जी के इस बयान को सुन कर लगता है जैसे इस्लामपुर सीट के ऊपर ‘Reserved for Nishant’ की पट्टी लग चुकी है!
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सांसद महोदय ने यह भी जोड़ा कि –
“हम क्षेत्र में घूमते हैं, लोग खुद कहते हैं कि निशांत कुमार को चुनाव लड़वाइए। वो जमीनी स्तर पर जुड़ाव बना सकते हैं।”
भाई, अब कौन नेता ऐसा फीडबैक पाता है जहां जनता कहती हो – “लाइए बेटा, टिकट दीजिए! हमें तो फैमिली पैक ही पसंद है।”
बिहार में ‘परिवारवाद’ को मिल रहा है नया चेहरा?
जहां तेजस्वी यादव, चिराग पासवान, रोहित चौधरी जैसे नाम पहले से राजनीति में वारिस बनकर दौड़ लगा रहे हैं, वहीं अब निशांत कुमार भी उस कतार में खड़े दिख रहे हैं। फर्क बस इतना है कि अब तक वो साइलेंट मोड में थे, और बाकी सब लाउडस्पीकर पर।
निशांत पढ़े-लिखे हैं, मगर ‘जमीन’ पर कितने रेडी हैं?
राजनीति में आने के लिए सांसद जी ने तो संभालने की भी छूट दे दी है – बोले,
“वो चाहें तो जदयू को भी संभाल सकते हैं।”
यानी अब पार्टी में Backup Plan भी तैयार है। अगर “नीतीश कुमार 3.0” की Battery डाउन हो गई, तो “Nishant Kumar 1.0” को चार्ज करके उतार दिया जाएगा।
नीतीश जी के घर में भी अब ‘उत्तराधिकारी खोजो अभियान’ शुरू!
बिहार की राजनीति में अब हर पार्टी Netflix सीरीज की तरह फैमिली ड्रामा बनती जा रही है। कोई जीजा आयोग की बात कर रहा है, कोई भांजा को विधायक बना रहा है, तो अब बाप बेटा की टीम भी मैदान में आने को तैयार है।
जनता बोले –
“चलो भई, अब परिवारवाद को ही जनाधार समझ लो, और 2025 में भी ‘अपनों’ को ही वोट दे दो।”
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