
नेपाल की न्यायपालिका में इतिहास रचने के बाद, सुशीला कार्की अब नेपाल की पहली महिला अंतरिम प्रधानमंत्री बन चुकी हैं। इससे पहले वो देश की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रह चुकी हैं। कानून, ईमानदारी और साहस की मिसाल बन चुकीं कार्की अब राजनीति के मैदान में भी लोकतंत्र की मशाल लेकर उतरी हैं।
उनकी नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब देश में युवाओं के नेतृत्व वाला ‘Gen Z’ आंदोलन सरकार के खिलाफ जबरदस्त विरोध कर रहा है।
ओली की विदाई और ‘Gen Z’ की ताक़त
पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भ्रष्टाचार के आरोपों और सोशल मीडिया बैन के खिलाफ युवाओं के विरोध के दबाव में इस्तीफा दे दिया। इस आंदोलन को Gen Z के जागरूक युवाओं ने नेतृत्व दिया।
सड़कों पर उतरे इन युवाओं की पहली मांग थी – PM का इस्तीफा, जो पूरा हुआ। दूसरी मांग थी – एक ईमानदार और ट्रांसपेरेंट लीडरशिप, जिसे पूरा करने के लिए सुशीला कार्की को चुना गया।
बालेन शाह और युवा जनमत का समर्थन
इस आंदोलन में सबसे चर्चित चेहरा रहे काठमांडू के मेयर और पॉपुलर रैपर बालेन शाह। उन्होंने खुले तौर पर सोशल मीडिया पर कार्की के नाम का समर्थन किया।
“Gen Z ने जिस नाम का सुझाव दिया है, मैं उसे पूरा समर्थन देता हूँ।” – बालेन शाह
इस युवा समर्थन ने कार्की को सिर्फ अंतरिम PM नहीं, बल्कि युवाओं की उम्मीदों की नेता बना दिया।
कौन हैं सुशीला कार्की?
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जन्म: बिराटनगर, नेपाल (1952)
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एजुकेशन: बीएचयू, वाराणसी से पॉलिटिकल साइंस में पोस्टग्रेजुएट
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कानून की पढ़ाई: त्रिभुवन विश्वविद्यालय, नेपाल
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वकालत की शुरुआत: 1979
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सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश: 2009
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नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश: 2016-2017
उन्होंने भ्रष्टाचार के कई हाई-प्रोफाइल मामलों में कड़े फैसले दिए और एक सख्त न्यायाधीश के रूप में पहचान बनाई। 2017 में उन्हें महाभियोग का भी सामना करना पड़ा, लेकिन कोर्ट और जनता के समर्थन से वे पुनः स्थापित हुईं।
भारत से भावनात्मक जुड़ाव
सुशीला कार्की ने बीएचयू में पढ़ाई की और उनका भारत से गहरा जुड़ाव रहा है। वे बताती हैं कि वे अक्सर गंगा किनारे हॉस्टल की छत पर बैठकर बहते पानी को निहारती थीं।

“भारत-नेपाल के रिश्ते रसोई के बर्तनों जैसे हैं – आवाज़ जरूर होती है, पर रिश्ता गहरा होता है।”
उनके यह शब्द भारत-नेपाल संबंधों में एक नई सकारात्मक लहर ला सकते हैं।
Interim PM के तौर पर प्राथमिकताएँ
सुशीला कार्की ने साफ़ कहा है कि उनकी पहली प्राथमिकता होगी:
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आंदोलन में मारे गए 51 युवाओं के लिए न्याय
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स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना
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भ्रष्टाचार के खिलाफ कठोर कार्रवाई
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जनता और लोकतंत्र के बीच विश्वास बहाल करना
उनका मानना है कि “सरकार तभी सफल हो सकती है जब उसे जनता का विश्वास मिले और वह जनहित में फैसले ले।”
न्यायपालिका से जनता की लीडर तक
जिन्होंने न्याय के मंदिर (Supreme Court) में बैठकर सत्ता के भ्रष्टाचार पर फैसले सुनाए, अब वही व्यक्ति जनता के बीच आकर लोकतंत्र को दिशा दे रही है। यह एक ऐसा बदलाव है जो नेपाल की राजनीति में नया ट्रेंड सेट कर सकता है – क्लीन इमेज वाले, जनता से जुड़े, और ज़मीनी नेतृत्व की ओर।
ओली युग का अंत, एक नई शुरुआत?
KP Sharma Oli के इस्तीफे के बाद नेपाल एक राजनीतिक क्रांति के मुहाने पर खड़ा है। सुशीला कार्की जैसे चेहरों का सामने आना, इस बात का संकेत है कि जनता अब पारदर्शिता और ईमानदारी चाहती है, न कि सिर्फ भाषण और वादे।
क्या यह बदलाव स्थायी होगा?
नेपाल आज संविधान, न्याय और युवा शक्ति – इन तीन स्तंभों के सहारे एक नई यात्रा शुरू कर रहा है। सुशीला कार्की जैसे नेताओं का आना दिखाता है कि जनता अब status quo को तोड़ना चाहती है।
लेकिन सवाल ये है – क्या ये बदलाव सिर्फ चेहरों का होगा या सिस्टम का भी? इसका जवाब आने वाले चुनाव और सरकारी फैसले देंगे।