
उत्तरी अफ्रीकी देश मोरक्को में मंगलवार की रात एक दर्दनाक हादसा हुआ जिसने पूरे देश को हिला दिया। मस्सिरा–जौआघा जिले में दो रिहायशी इमारतें अचानक भरभराकर गिर गईं, और देखते ही देखते वहां घर नहीं—मलबा ही मलबा रह गया।
रातभर चले रेस्क्यू ऑपरेशन में 19 लोगों की मौत की पुष्टि हुई, जिनमें चार बच्चे भी शामिल हैं। कई लोगों को जिंदा निकाला गया, जबकि कुछ की तलाश अब भी जारी है।
घायलों का इलाज जारी, रेस्क्यू टीम की रातभर दौड़भाग
हादसे में कई लोग घायल हुए हैं, जिनका इलाज नजदीकी अस्पतालों में चल रहा है। पुलिस, सिविल डिफेंस और रेस्क्यू टीमें पूरी रात भारी मलबा हटाती रहीं। ऑनलाइन सामने आए वीडियो में क्रेन, टॉर्चलाइट और एंबुलेंस के बीच एक अफरातफरी जैसा माहौल दिख रहा है।
लोगों का सवाल—”इतनी बड़ी इमारतें ऐसे कैसे गिर गईं?“
क्यों हुआ हादसा—कमजोर डिजाइन या बड़ी लापरवाही?
शुरुआती रिपोर्टें बताती हैं कि इमारतों का संरचनात्मक डिजाइन कमजोर था। हालांकि सरकार ने अभी इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की है।
लेकिन सच कहें—मोरक्को में यह पहली बार नहीं हुआ।
- अक्टूबर 2024 में कैसाब्लांका के पुराने मदीना में बड़ा हादसा
- मई 2025 में फेस में एक इमारत गिरने से 9 मौतें
- 2023 अल हौज भूकंप के बाद 12,000 से ज्यादा कमजोर इमारतों की पहचान
यानी रिकॉर्ड देख कर लगता है कि “इमारतें गिर रही हैं… और वादे खड़े ही रह जाते हैं!”

सरकार के वादे और पुरानी कमजोरियां
सरकार दावा करती रही है कि असुरक्षित इमारतों की मरम्मत की जाएगी, लेकिन घटनाओं की लिस्ट खुद सच बता देती है।
भूकंप के बाद से कई इमारतें और कमजोर हुईं—और अब स्थिति फिर से चिंता बढ़ा रही है।
लोगों का गुस्सा भी जायज़ है—क्योंकि जिंदगी की कीमत कभी कम नहीं हो सकती।
मोरक्को का यह हादसा सिर्फ एक दुखद घटना नहीं—बल्कि शहरों की अव्यवस्थित प्लानिंग, पुराने ढांचे और अधूरे वादों पर बड़ा सवाल है।
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