मथुरा श्रीधरन- बिंदी देख बौखलाया अमेरिका, योग्यता गई छुट्टी पर

Saima Siddiqui
Saima Siddiqui

भारतीय मूल की अमेरिकी वकील मथुरा श्रीधरन को जब ओहियो का नया सॉलिसिटर जनरल बनाया गया, तो उम्मीद थी कि लोग उनकी काबिलियत की तारीफ करेंगे।
लेकिन कुछ लोगों को बिंदी, स्किन कलर और उनका नाम इतना खटका कि योग्यता पीछे छूट गई और ट्रोलिंग आगे आ गई

जब भारत से शिक्षा की एक्सपोर्ट हो और अमेरिका से ट्रोलिंग की — तो समझ जाइए, किसी की काबिलियत से ज्यादा उसकी पहचान चुभ रही है।

कौन हैं मथुरा श्रीधरन — बिंदी के पीछे की ब्रेन पावर?

मथुरा श्रीधरन एक भारतीय मूल की अमेरिकी नागरिक हैं। उन्होंने ओहियो अटॉर्नी जनरल के ऑफिस में डिप्टी सॉलिसिटर जनरल के रूप में काम किया है। उनकी नियुक्ति खुद अटॉर्नी जनरल डेव योस्ट ने की, और सार्वजनिक रूप से कहा कि मथुरा ने पिछली कानूनी बहस में “outstanding performance” दिखाई थी। लेकिन इंटरनेट सेना को इससे क्या? उन्हें तो बिंदी में बवाल दिख गया।

“बिंदी नहीं, बर्दाश्त नहीं” — नस्लवादी बकवास शुरू

जैसे ही नियुक्ति की खबर आई, कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर कहना शुरू कर दिया, “ये पोस्ट किसी अमेरिकन को मिलनी चाहिए थी।”

“ये औरत कौन है, जो बिंदी लगाकर न्याय प्रणाली संभालेगी?”

अरे भाई, न्याय माथे से नहीं, मस्तिष्क से होता है।

डेव योस्ट का करारा जवाब: “बिंदी से चिढ़ है तो डॉक्टर दिखाओ”

ओहियो के AG डेव योस्ट ने मथुरा का खुलकर समर्थन किया और ट्वीट किया:

“अगर आपको मथुरा का नाम, रंग या बिंदी से दिक्कत है, तो समस्या मथुरा में नहीं, आप में है।

उन्होंने साफ किया कि मथुरा एक अमेरिकी नागरिक हैं, उन्होंने एक अमेरिकन से शादी की है, और उनकी संतान भी अमेरिका की नागरिक है।

यानी बिंदी लगाना अब अमेरिकीता के खिलाफ नहीं, संविधान के समर्थन में है।

काबिलियत की EPIC जीत या पहचान की ट्रोलिंग?

मथुरा की कहानी एक तस्वीर है उस अमेरिका की, जो योग्यता से डरने लगा है अगर वो Brown Skin और Accent में हो। लेकिन यही कहानी प्रेरणा भी है — उन लाखों भारतीयों के लिए जो अपनी पहचान के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं, न कि उसे उतारकर।

“अगर बिंदी पहनकर मथुरा न्याय की सेवा कर सकती हैं, तो बेशक बिंदी अब गहना नहीं, पावर सिंबल बन चुकी है।”

मथुरा श्रीधरन सिर्फ एक पोस्ट नहीं, एक प्रतीक हैं

उनकी नियुक्ति सिर्फ एक डेस्क जॉब नहीं है, बल्कि यह बताती है कि भारतवंशी अब अमेरिका के न्यायिक गलियारों में भी अपनी बौद्धिक छाप छोड़ रहे हैं
और जिन्हें बिंदी से इतनी चिढ़ है, उन्हें शायद ये समझना चाहिए कि अब अमेरिका मेल्टिंग पॉट नहीं, मिक्स्ड प्लेटर बन चुका है — जहां हर स्वाद का सम्मान होना चाहिए।

“एक नहीं, दो-दो वोट! सांसद की पत्नी बनी वोटिंग क्वीन?”

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