“अब मंच नहीं, मंचन की बारी है!” — मैथिली ठाकुर राजनीति में?

Ajay Gupta
Ajay Gupta

भजन, लोकगीत और मधुर सुरों से दिल जीतने वाली मैथिली ठाकुर अब शायद वोट भी जीतने की तैयारी में हैं। 25 साल की हो चुकी मैथिली को बीजेपी से टिकट मिलने की अटकलें तब और तेज हो गईं, जब उन्होंने बीजेपी के बिहार प्रभारी विनोद तावड़े और केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय से गर्मजोशी से मुलाकात कर ली।

“सुर से दिल जीत लिया, अब सियासत से सीट जीतने का इरादा लग रहा है।”

कहां से लड़ सकती हैं चुनाव?

संभावना जताई जा रही है कि मैथिली ठाकुर को मधुबनी जिले की बेनपट्टी या अलीनगर सीट से चुनाव लड़ने का मौका मिल सकता है। दोनों इलाके मैथिली की जड़ों से जुड़े हुए हैं और लोकल फैन फॉलोइंग उनकी सबसे बड़ी पूंजी मानी जा रही है।

बीजेपी की नई स्ट्रैटेजी: युवा+लोकप्रियता = Win-Win?

बीजेपी इस बार चुनावी गणित में सिर्फ जाति और जोश ही नहीं, “जुगलबंदी” भी जोड़ रही है — कलाकारों की लोकप्रियता के साथ पार्टी की विचारधारा का संगम।

“सियासत का रंग अब सुरों से सजाया जाएगा। जहां पहले हारमोनियम था, अब हारमोनिक गठबंधन की तलाश है।”

विनोद तावड़े ने पोस्ट से चढ़ाया सियासी टेम्पो

विनोद तावड़े ने एक्स (Twitter) पर मैथिली के साथ तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखा:

“बिहार की बेटी मैथिली ठाकुर बदलते बिहार की रफ्तार देखकर वापस आना चाहती हैं।”

इस कैप्शन ने साफ कर दिया कि मामला सिर्फ शिष्टाचार मुलाकात नहीं था — चुनावी साजिश (पढ़ें: रणनीति) पक रही है।

कौन हैं मैथिली ठाकुर?

  • मूल रूप से बेनपट्टी, मधुबनी की निवासी

  • 2011 में ‘सारेगामापा लिटिल चैंप्स’ में टॉप कंटेस्टेंट

  • सोशल मीडिया पर मिलियन+ फॉलोअर्स

  • भजन, लोकगीत, विद्या, और अब शायद विधानसभा भी

उनकी आवाज़ ने देशभर में पहचान दिलाई, और अब पार्टी उन्हें पहचान दिलाकर शायद विधानसभा तक ले जाए — सियासत की ये धुन दिलचस्प है।

राजनीति में आने वाले कलाकारों की लिस्ट लंबी होती जा रही है – हेमामालिनी से लेकर मनोज तिवारी तक। लेकिन मैथिली ठाकुर की एंट्री दिलचस्प इसलिए है क्योंकि उनकी छवि ‘मधुर, संस्कारी और मासूम’ है – जो आमतौर पर चुनावी जंग के लिए सबसे असाधारण हथियार मानी जाती है।

“भजन की धुन पर वोटों की गिनती होगी, और शायद पहली बार कोई हारमोनियम बजा कर हाउस तक पहुंचेगा।”

सुरों की देवी, अब सत्ता की देवी बनेंगी?

राजनीति में एक पुरानी कहावत है — “जिसकी आवाज़ जनता सुनती है, उसका नाम बैलेट पर भी बजता है।”
अब देखना ये है कि मैथिली ठाकुर की ये “राजनीतिक राग” जनता के दिल में बसती है या EVM के बटन तक पहुंच पाती है।

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