
राजद के सियासी मंच पर एक तरफ पटना में ढोल-नगाड़े बज रहे थे, तो दूसरी ओर तेज प्रताप यादव ने ट्विटर (अब X) पर ऐसा पोस्ट दागा कि लगा जैसे मखाना के खेत में डायनामाइट फूट गया। पार्टी की राज्य परिषद की बैठक हुई, नए प्रदेश अध्यक्ष बने, और ठीक उसके बाद लालू यादव के बड़े लाल ने X पर बगावत की चिट्ठी ठोक दी।
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“मेरी चुप्पी को कमजोरी मत समझना” – तेज प्रताप का भावुक, बम जैसा पोस्ट
तेज प्रताप ने लिखा –
“मेरी ख़ामोशी को मेरी कमजोरी समझने की भूल करने वालों, ये मत समझना कि मुझे तुम्हारी साजिशों का पता नहीं… अंत मैं करूंगा!”
अब भाई, ये कौन है जिसने साजिश की? नाम नहीं लिया गया लेकिन तेजस्वी यादव की कुर्सी की कुहासे में निशाना साफ दिख रहा है।
“दल नहीं, जनता और सुप्रीम कोर्ट तय करेगा भूमिका”
तेज प्रताप का ये कहना कि “कोई दल या परिवार नहीं, मेरी भूमिका मेरी प्यारी जनता और माननीय सर्वोच्च न्यायालय तय करेगा,” एक तरह से परिवार से मोहभंग और संविधान से मोहजुड़ जैसा है। अब लालू परिवार में लोकतंत्र की बहाली तेज प्रताप कोर्ट के भरोसे कराना चाहते हैं!
जब परिवार से ‘निकाला’ तो आस्था दिखी, अब बैठक के बाद बगावत क्यों?
हाल में तेज प्रताप यादव के एक कथित प्रेम प्रसंग को लेकर पार्टी और घर से उनकी ‘सीट’ खिसका दी गई थी। तब वो बोले थे — “मैं परिवार का बेटा हूं, माफ कर दीजिए।” लेकिन अब अचानक RJD की मीटिंग खत्म होते ही उनका सुर बदल गया। अब तो तेज प्रताप यादव लगते हैं जैसे Netflix की सस्पेंस थ्रिलर की स्क्रिप्ट खुद लिख रहे हों।
RJD में अब कौन है अर्जुन, कौन शकुनी?
तेजस्वी यादव पार्टी में अब खुद को अर्जुन समझ रहे होंगे—जिन्हें लक्ष्य दिखता है। लेकिन तेज प्रताप की बगावत ने पार्टी को महाभारत के कुरुक्षेत्र में लाकर खड़ा कर दिया है। और एक भाई, दूसरे भाई पर कह रहा है – “अबे मैं भी तो पांडव हूं रे!”
सोशल मीडिया से शुरू, संसद तक पहुंचेगी लड़ाई?
तेज प्रताप का अंदाज बता रहा है कि मामला अब सिर्फ ट्वीट तक नहीं रुकेगा। पार्टी के भीतर अंदरूनी कलह और नाराजगी धीरे-धीरे सीट शेयरिंग, टिकट वितरण और नेतृत्व को लेकर बड़ा मुद्दा बन सकता है। और जब बात सुप्रीम कोर्ट तक जाती दिखे, तो समझ लीजिए कि फैमिली ड्रामा अब पब्लिक डोमेन में लाइव टेलीकास्ट के लिए तैयार है।
RJD के घर में अब कोई “रामायण” नहीं, सीधा “रावण वर्सेस रावण”!
तेज प्रताप यादव की पोस्ट सिर्फ बगावत नहीं, सियासी ऐलान-ए-जंग है। सवाल अब सिर्फ तेजस्वी की नेतृत्व क्षमता का नहीं, बल्कि RJD की पारिवारिक राजनीति के ढांचे का है। और जब पार्टी में ही मंच सजा हो, तो जनता कहेगी –
“कांग्रेस के बाद अब RJD में भी ट्रेलर शुरू हो गया है, पॉपकॉर्न निकालिए!”